Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

हरियाणा सरकार को बताना होगा, किसे मिला दिव्यांग प्रमोशन का लाभ

1995 के दिव्यांग अधिकार कानून के तहत पदोन्नति आरक्षण पर उठे सवाल

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट।
Advertisement
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं कि वह चार हफ्ते के भीतर उन सभी कर्मचारियों को सूचना दे, जिन्हें 25 मार्च, 2022 के नोटिफिकेशन का लाभ देकर दिव्यांग कोटे में पदोन्नति (प्रमोशन) दी गई है। कोर्ट का यह आदेश सिविल रिट पिटिशन (सीडब्ल्यूपी) नंबर 9975 ऑफ 2022 (ओ एंड एम) मामले में आया, जिसे विजय कुमार जिंदल और अन्य ने दाखिल किया था।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार ने 1995 के पर्सन्स विद डिसएबिलिटीज (इक्वल अपॉर्च्यूनिटीज, प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स एंड फुल पार्टिसिपेशन) एक्ट के तहत 25 मार्च, 2022 को जो नोटिफिकेशन जारी किया, उसमें पिछली तारीख से प्रोमोशन में आरक्षण देने का प्रावधान किया गया। उनका तर्क है कि 1995 के इस कानून के अंतर्गत नए अधिकार (राइट्स) बनाना या पिछली तारीख से आरक्षण देना वैधानिक रूप से संभव नहीं है।

Advertisement

जब यह याचिका दायर की गई थी तब किसी को इस नोटिफिकेशन का लाभ नहीं मिला था, लेकिन याचिका लंबित रहने के दौरान सरकार ने कई कर्मचारियों को पदोन्नति दे दी। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति रोहित कपूर की खंडपीठ ने कहा कि इस आदेश का प्रभाव व्यापक होगा और अनेक कर्मचारी इससे प्रभावित हो सकते हैं।

कोर्ट ने माना कि जिन लोगों को पहले ही लाभ दिया जा चुका है, उन्हें मामले की जानकारी और अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिलना चाहिए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिका लंबित रहने के दौरान दिए गए सभी लाभ अंतिम नहीं माने जाएंगे और इनका भविष्य कोर्ट के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।

सरकार को कड़े निर्देश

हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया है कि चार हफ्तों के भीतर सभी लाभार्थियों को नोटिस भेजकर सूचित करे और उन्हें सुनवाई में शामिल होने का अवसर दे। अदालत ने यह भी कहा कि अगली सुनवाई से पहले यह प्रक्रिया पूरी करनी होगी। अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को तय की गई है।

इसलिए अहम है यह फैसला

यह मामला केवल दिव्यांग कर्मचारियों के अधिकारों तक सीमित नहीं है बल्कि सरकारी सेवाओं में आरक्षण और पदोन्नति नीति पर भी गहरा असर डाल सकता है। अदालत के इस आदेश से यह स्पष्ट संकेत मिला है कि आरक्षण से जुड़ी किसी भी नीति को पिछली तारीख से लागू करना आसान नहीं है और इसके लिए ठोस कानूनी आधार जरूरी है।

अब आगे की राह

अब सभी की नजरें 14 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं। तभी तय होगा कि 25 मार्च, 2022 का नोटिफिकेशन बरकरार रहेगा या खारिज होगा और पहले से प्रमोशन पा चुके कर्मचारियों की स्थिति पर क्या असर पड़ेगा। यह फैसला हरियाणा सरकार और दिव्यांग कर्मचारियों दोनों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।

Advertisement
×