चंडीगढ़, 17 फरवरी (ट्रिन्यू)
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार समावेशी विकास और राज्य में सभी के लिए समान सुविधाएं सुनिश्चित करने के अपने आदर्श वाक्य पर अथक रूप से काम कर रही है। सरकार विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर पारिश्रमिक दे रही है, जो देशभर में सर्वाधिक है। सरकार अन्य राज्यों की तुलना में आशा वर्कर्स को सर्वोत्तम पारिश्रमिक देने में भी शीर्ष पर है।
सरकारी प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को यहां कहा कि पूरे देश में हरियाणा की आशा कार्यकर्ताओं को राज्य सरकार द्वारा सबसे अधिक मानदेय स्टेट बजट से दिया जा रहा है। यहां तक कि आशा वर्कर के हरियाणा मॉडल को पंजाब और अन्य राज्यों में भी लागू करने की मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार आशा कार्यकर्ताओं की जायज मांगों को पर विचार किया जा रहा है।
प्रवक्ता के मुताबिक, वर्तमान में राज्य में कुल 20 हजार आशा कार्यकर्ता हैं। ये वे हैं, जो ‘आशा पे-एप’ पर रजिस्टर्ड हैं और उन्हें केंद्र सरकार के नियमानुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियां करने के बाद केवल परफोरमेंस बेस्ट इंसेंटिव देने का प्रावधान है। इसके बावजूद, हरियाणा सरकार ने प्रदेश बजट से आशा कार्यकर्ताओं के लिए अतिरिक्त 154 करोड़ 45 लाख रुपये का प्रावधान किया है।
प्रदेश की आशा वर्करों को 4000 रुपये मासिक निश्चित मानदेय दिया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्य-आधारित अर्जित मासिक राशि का 50 प्रतिशत अतिरिक्त मानदेय भी मिलता है। इनमें 8 नियमित गतिविधियां शामिल नहीं हैं। इसी तरह से कार्य आधारित सात प्रमुख गतिविधियों के लिए 750 रुपये मासिक मिलते हैं। आशा की मृत्यु होने पर परिवार को तीन लाख रुपये की आर्थिक मदद हरियाणा करता है। प्रवक्ता ने बताया कि मार्च से नवंबर 2021 तक 5033 (25.16 प्रतिशत) आशा वर्करों को 10 हजार रुपये से अधिक मासिक मानदेय मिला। इनमें से 38 आशा वर्कर ऐसी हैं, जिन्हें मासिक 18 हजार से अधिक मिले। वहीं, 318 आशाओं को 14 से 18 हजार रुपये तक तथा 4677 आशा वर्करों को 10 से 14 हजार के बीच मानदेय मिला। 14968 आशाओं को 6 हजार से 10 हजार रुपये तक मासिक दिया गया। इनमें मासिक 6 हजार रुपये वाली आशा वर्करों की संख्या केवल 20 है। प्रवक्ता ने कहा कि कोविड-19 की अवधि के दौरान मार्च 2020 से लेकर अभी तक आशा वर्करों को एक हजार रुपये अतिरिक्त केंद्र सरकार की ओर से मिल रहे हैं। संक्रमण के दौरान अगर किसी आशा की मृत्यु होती है तो उसके परिवार को 53 लाख रुपये की आर्थिक मदद का प्रावधान सरकार ने किया है। इसमें 50 लाख केंद्र सरकार के और 3 हरियाणा के हैं। प्रदेश में कोविड-19 के दौरान 4 आशा वर्करों की मौत हुई। इनमें से 2 के परिजनों को 53-53 लाख रुपये की मदद की जा चुकी है। 2 आशा वर्करों के केस प्रक्रिया में है। हरियाणा सरकार अपने हिस्से के 3-3 लाख रुपये दे चुकी है और केंद्र से 50-50 लाख रुपये के लिए लिखा जा चुका है।
प्रदेश में आशा वर्करों को एंडरॉयइड बेस्ड स्मार्ट फोन, सीयूजी सिम, 30 जीबी डाटा एवं असीमित टॉक-टाइम के साथ उपलब्ध करवाए हैं। आशाओं को समय पर मासिक मानदेय भुगतान एवं पारदर्शिता के लिए आशा-पे-एप’ बनाया गया। इसके माध्यम से आशा वर्कर स्वयं अपना मासिक मानदेय क्लेम कर रही हैं। वे खुद अपने मानदेय भुगतान की स्थिति देख सकती हैं।
5 लाख तक मेडिकल सुविधा
प्रदेश सरकार ने आशा वर्करों को आयुष्मान भारत योजना में भी कवर किया है। उनका व उनके परिजनों का सालाना 5 लाख रुपये तक का मुफ्त उपचार हो सकेगा। प्रदेश सरकार के पैनल में सभी सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में कैशलेस उपचार की सुविधा दी है। स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन प्लान 2022-24 के तहत आशा वर्करों की अलग-अलग गतिविधियों के मानदेय में भी बढ़ोतरी के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेज रहे हैं। यह मंजूर होता है तो प्रत्येक आशा को मासिक हजार रुपये अधिक मिलेंगे।