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Haryana Fraud Case : ‘बैंक ऑफ अमेरिका’ बनकर की करोड़ों की ठगी, ED की कार्रवाई में हरियाणा के साइबर ठग की करोड़ों की संपत्ति जब्त

क्रिप्टो से कॉल सेंटर तक: ठगी के पैसों का जाल अब ईडी की गिरफ्त में

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Haryana Fraud Case : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने साइबर फ्रॉड से जुड़े एक बड़े मामले में हरियाणा के विक्रमजीत सिंह और उनके साथियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। ईडी की चंडीगढ़ ज़ोनल यूनिट ने 30 सितंबर, 2025 को मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएलएलए), 2002 के तहत 2.85 करोड़ रुपये की अचल और चल संपत्तियों को अटैच किया है।

यह कार्रवाई एक ऐसे साइबर धोखाधड़ी मामले से जुड़ी है जिसमें विदेशी नागरिकों, खासकर एक अमेरिकी नागरिक, को ठगी का शिकार बनाया गया था। ईडी की जांच हरियाणा पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की गई थी, जिसमें एक अमेरिकी नागरिक की शिकायत पर विक्रमजीत सिंह और उनके सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था।

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जांच में सामने आया कि विक्रमजीत सिंह और अंचल मित्तल ने मिलकर एक फर्जी कॉल सेंटर स्थापित किया था, जहां से वे बैंक ऑफ अमेरिका के कर्मचारियों के रूप में खुद को पेश करते थे। उन्होंने तकनीकी माध्यमों से अमेरिकी नागरिक के कंप्यूटर सिस्टम तक गैरकानूनी पहुंच प्राप्त की और उसे यह विश्वास दिलाया कि उसका बैंक खाता हैक हो गया है। इसके बाद धोखे से उसकी संवेदनशील जानकारी और धनराशि अपने कब्जे में ले ली। इस तरह लगभग 11.54 करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया गया।

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क्रिप्टोकरेंसी के जरिये मनी लॉन्ड्रिंग

जांच में खुलासा हुआ कि ठगे गए पैसे से क्रिप्टोकरेंसी खरीदी गई, जिसे बाद में बेचकर उसकी राशि विभिन्न बैंक खातों में ट्रांसफर की गई। यह रकम रिश्तेदारों और सहयोगी कंपनियों के खातों में घुमाई गई ताकि असली स्रोत छिपाया जा सके। विक्रमजीत सिंह ने इस अवैध धन से अचल संपत्तियां खरीदीं, अपने परिजनों के नाम पर निवेश किया, और कुछ रकम बिल्डरों को अग्रिम भुगतान के रूप में दी। ईडी की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी ने कई व्यक्तियों को फर्जी लोन भी दिए और अपराध से अर्जित रकम को वैध दिखाने की कोशिश की।

माता-पिता के नाम पर खरीदी गई 1.26 करोड़ की संपत्ति भी अटैच

ईडी ने बताया कि जांच के दौरान दो अचल संपत्तियां, जो कि विक्रमजीत सिंह के माता-पिता, सरिता देवी और जसबीर सिंह के नाम पर खरीदी गई थीं, को अटैच किया गया है। इन संपत्तियों का मूल्य लगभग 1.26 करोड़ रुपये आंका गया है। इसके अलावा, बैंक खातों में मौजूद फिक्स्ड डिपॉज़िट और बैलेंस मिलाकर 1.58 करोड़ रुपये की चल संपत्ति को भी अटैच किया गया है।

जुलाई में मारे थे छापे, 43.58 लाख रुपये पहले ही फ्रीज

इससे पहले, ईडी ने 29 जुलाई को विक्रमजीत सिंह और उनके साथियों के आवासीय परिसरों पर छापेमारी की थी। इन तलाशी कार्रवाइयों के दौरान जांच एजेंसी ने कई डिजिटल उपकरण, मोबाइल, लैपटॉप और संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए थे। साथ ही, आरोपियों के नाम से जुड़े बैंक खातों में जमा कुल 43.58 लाख रुपये की राशि को फ्रीज कर दिया गया था।

फर्जीवाड़े का जाल अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैला

ईडी की प्रारंभिक जांच से संकेत मिले हैं कि यह साइबर फ्रॉड नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ है और इसमें कई देशों के नागरिकों को निशाना बनाया गया है। विक्रमजीत सिंह और अंचल मित्तल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग, साइबर फ्रॉड और विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम से जुड़े विभिन्न पहलुओं की जांच अब भी जारी है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ठगे गए धन को वैध दिखाने के लिए आरोपी ने बहुस्तरीय बैंकिंग ट्रांजैक्शन का सहारा लिया। जांच में हर स्तर पर डिजिटल ट्रेल और लेनदेन के सबूत मिले हैं।

ईडी की जांच में सामने आए प्रमुख बिंदु

फर्जी कॉल सेंटर से अमेरिकी नागरिक को 11.54 करोड़ रुपये की ठगी

राशि का उपयोग क्रिप्टोकरेंसी खरीदने और फिर बेचने में किया गया

बिक्री से प्राप्त रकम रिश्तेदारों और सहयोगियों के खातों में घुमाई गई

माता-पिता के नाम पर संपत्ति खरीदी और बिल्डरों को एडवांस दिए

अब तक कुल 2.85 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त, जांच जारी

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