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Haryana Electricity Rate: हरियाणा में बिजली दरों में वृद्धि का प्रस्ताव, नायब सरकार के सामने चुनौती

4520 करोड़ का गेप पूरा करने की जुगत में बिजली कंपनियां
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 ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 31 मार्च

Haryana Electricity Rate: हरियाणा में बिजली की दरों में बढ़ोतरी हो सकती है। हरियाणा राज्य बिजली विनियामक आयोग (एचईआरसी) द्वारा उत्तर व दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम से 4520 करोड़ रुपये से अधिक के गेप की भरपाई के लिए कंक्रीट एक्शन प्लान मांगा था। बताते हैं कि इस गेप को पूरा करने के लिए कंपनियों की ओर से आयोग के पास टैरिफ में बढ़ोतरी करने का प्रपोजल भेजा है। इस प्रस्ताव के साथ ही राज्य की नायब सरकार की चुनौती भी बढ़ गई है।

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पूर्व की मनोहर सरकार ने अपने करीब दस वर्षों के कार्यकाल में केवल 2022-25 में मात्र 25 पैसे प्रति यूनिट का इजाफा किया था। यह बढ़ोतरी भी केवल एक ही कैटेगरी में हुई थी। यानी मनोहर सरकार ने दस वर्षों में बिजली के बिलों में इजाफा नहीं किया गया। अब अगर नायब सरकार बिजली के रेट बढ़ाती है तो यह बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बन सकता है। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का मौका नहीं छोड़ेगा।

पिछले सप्ताह ही विधानसभा में पास हुए नायब सरकार के पहले वार्षिक बजट को भी सरकार ने टैक्स फ्री बताया था। दरअसल, बिजली कंपनियों की ओर से आयोग से एआरआर (वार्षिक राजस्व जरूरत) के तहत 45 हजार 978 करोड़ 93 लाख रुपये से अधिक का प्रपोजल भेजा था। वहीं बिजली कंपनियों को होने वाली आय और डिमांड में 4 हजार 520 करोड़ रुपये से अधिक का गेप था। आयोग की ओर से बिजली कंपनियों से इस गेप को भरने का फार्मूला पूछा गया।

आमतौर पर एचईआरसी द्वारा एआरआर और राजस्व वसूली के गेप पर खुद ही निर्णय लिया जाता रहा है। इस बार आयोग चेयरमैन नंदलाल शर्मा व अन्य सदस्यों ने सूझ-बूझ का परिचय देते हुए यह फैसला बिजली कंपनियों पर ही छोड़ दिया। सरकार भी यह कहकर पल्ला झाड़ लिया करती थी कि बिजली के रेट तय करने का काम सरकार का नहीं आयोग का है। अब चूंकि बिजली कंपनियों ने खुद ही रेट बढ़ाने की सिफारिश आयोग को की है। सो, आयोग पर किसी तरह की बात नहीं आएगी।

यह हुई थी बढ़ोतरी

2022-23 में मनोहर सरकार के समय आयोग की ओर से टैरिफ की एक कैटेगरी में दाम बढ़ाए थे। उस समय 0 से 150 यूनिट तक दो रुपये प्रति यूनिट का रेट था। आयोग ने इसमें बढ़ोतरी करके 2 रुपये 75 पैसे प्रति यूनिट टैरिफ तय किया था। बाकी किसी भी कैटेगरी के रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ था।

क्या कहते हैं नियम

एचईआरसी द्वारा विद्युत अधिनियम-2003 की पालना की जाती है। इसके नियम-62 में आयोग के पास दरें तय करने के अधिकार हैं। आयोग द्वारा तय की गई दरों को कम करने के लिए राज्य सरकार के पास नियम-65 में सब्सिडी देने के अधिकार हैं। लेकिन सरकार को सब्सिडी एडवांस में निगमों को देनी होती है।

कृषि क्षेत्र में जा रही सब्सिडी

विद्युत अधिनियम-2003 के नियम-65 के तहत ही राज्य सरकार ने कृषि क्षेत्र में सब्सिडी का फैसला लिया हुआ है। प्रदेश में किसानों को 10 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली आपूर्ति होती है। बाकी का गेप सब्सिडी के तौर पर सरकार निगमों को देती है। कृषि सब्सिडी पर सालाना 6000 करोड़ के करीब खर्च होते हैं।

हो चुकी जनसुनवाई, आज आर्डर संभव

हरियाणा राज्य बिजली विनियामक आयोग निगमों की एआरआर डिमांड पर 16 जनवरी को जनसुनवाई कर चुका है। इसके बाद 19 फरवरी को स्टेट एडवाइजरी कमेटी की बैठक भी हो चुका है। अब 4529 करोड़ के गेप का प्रपोजल भी कंपनियां दे चुकी हैं। मंगलवार को आयोग द्वारा इस संदर्भ में आदेश दिए जा सकते हैं।

वर्तमान में यह है स्लैबवार टैरिफ प्लान

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