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Haryana Election Result: कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में नहीं था तालमेल, ‘अपनों’ ने ही हराने में निभाई भूमिका

विधानसभा में हार के कारणों को तलाश रही कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी

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भूपेश बघेल व हरीश चौधरी की फाइल फोटो।
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 19 अक्तूबर

Haryana Election Result: हरियाणा के विधानसभा चुनावों में पॉजिटिव माहौल के बावजूद कांग्रेस की हार के लिए ईवीएम को जिम्मेदार ठहरा रहे नेताओं के दावों को कांग्रेस के ही उन नेताओं ने खारिज कर दिया है, जिन्होंने पार्टी टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा। कई नेताओं का कहना है कि कांग्रेस नेताओं की आपसी गुटबाजी और भीतरघात की वजह से पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। वरिष्ठ नेताओं के बीच आपसी तालमेल भी नहीं था।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा की नाराजगी भी पार्टी पर भारी पड़ने की बात कई उम्मीदवारों ने कही है। दरअसल, चुनाव में हार के कारणों का पता लगाने के बाद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया था। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता वाली फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में राजस्थान के वरिष्ठ विधायक हरीश चौधरी भी बतौर सदस्य शामिल हैं।

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यहां बता दें कि कांग्रेस ने विधानसभा की नब्बे में से 89 सीटों पर चुनाव लड़ा था। भिवानी सीट पर इंडिया गठबंधन के तहत सीपीआई-एम के कामरेड ओमप्रकाश चुनाव लड़े थे। कांग्रेस ने 37 सीटों पर जीत हासिल की। कमेटी ने चुनाव हारने वाले 52 उम्मीदवारों के साथ जूम के जरिये मीटिंग की और हार के कारणों का पता लगाया। सभी उम्मीदवारों से कमेटी की ओर से चार सवाल भी पूछे गए। इनमें चुनाव हारने की वजह, विधानसभा क्षेत्र में वरिष्ठ नेताओं द्वारा किए गए दौरों के अलावा स्टार प्रचारकों के दौरों को लेकर पूछा गया। चौथा सवाल – ईवीएम के रोल को लेकर था।

उम्मीदवारों से यह भी पूछा गया कि ईवीएम के रोल को लेकिन उनमें से कितनों ने चुनाव आयोग में शिकायत की है। अहम बात यह है कि बातचीत में बड़ी संख्या में उम्मीदवारों ने ईवीएम के रोल से साफ इन्कार कर दिया। कई उम्मीदवारों ने दो-टूक कहा, हार के लिए ईवीएम को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। कांग्रेस की हार के पीछे पार्टी के खुद के नेता ही जिम्मेदार रहे। टिकट नहीं मिलने से बागी हुए नेताओं को मनाने के लिए गंभीरता से प्रयास नहीं हुए। कई सीटों पर कांग्रेस केवल अपने ही बागियों की वजह से चुनाव हारी।

उम्मीदवारों ने बताया कि वरिष्ठ नेताओं के बीच आपसी तालमेल नहीं था। पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा की अनदेखी का मुद्दा भी कुछ उम्मीदवारों ने कमेटी के सामने उठाया। इनमें से कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने कहा – अगर कुमारी सैलजा को उकलाना से चुनाव लड़वाया जाता तो प्रदेश की 10 से 15 सीटों का फायदा उनके चुनाव लड़ने मात्र से हो सकता था। सैलजा की नाराजगी और उनके चुनाव प्रचार से दूरी बनाने की वजह से कुछ वर्गों विशेष रूप से दलित वोट बैंक में सेंध लगी। इस वजह से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा।

जाटों के ध्रुवीकरण से भी हारे

सूत्रों का कहना है कि कई उम्मीदवारों ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सामने हार के कारण गिनवाते हुए कहा कि जाट वोट के ध्रुवीकरण की वजह से भी कांग्रेस को नुकसान हुआ। जाट मतदाताओं के मुखर होने की वजह से दूसरी जातियों में गलत संदेश गया। इस वजह से मतदान के एक सप्ताह पहले माहौल बिगड़ना शुरू हो गया और वोटिंग का दिन आते-आते गैर-जाट वोटर भाजपा के लिए लामबंद हो गए। इस वजह से उन सीटों पर भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, जिन सीटों पर पहले दिन से कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही थी।

भीतरघात के खुले आरोप

कमेटी सदस्यों के साथ वन-टू-वन बातचीत में कुछ उम्मीदवारों ने कहा कि कांग्रेस के ने ही कांग्रेस को हराने का काम किया। बरवाला, नलवा व हिसार सहित कई अन्य हलकों के प्रत्याशियों ने कहा कि टिकट कटने की वजह से कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता मुखालफत कर रहे थे। कहने को तो वे कांग्रेस के साथ थे, लेकिन अंदरखाने वोट भाजपा को दिलवा रहे थे। एक उम्मीदवार ने कांग्रेस के सांसद और एक ने पूर्व कैबिनेट मंत्री पर भाजपा की मदद करने के आरोप जड़ दिए हैं। कुछ ऐसे उम्मीदवार भी हैं, जिन्होंने इस बात पर सवाल उठाए हैं कि ईवीएम की बैटरी आखिर तक 99 प्रतिशत ही रही। इससे गड़बड़ की आशंका जताई जा सकती है।

स्टार प्रचारकों की सूचना नहीं

राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के अलावा केंद्रीय नेताओं व दूसरे राज्यों के मौजूदा व पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भी स्टार प्रचारक के तौर पर हरियाणा में जनसभाएं और रोड-शो किए। कई उम्मीदवारों ने कहा कि स्टार प्रचारकों के दौरों को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से पूर्व में किसी तरह की सूचना नहीं दी गई। कुछ उम्मीदवारों का तो यहां तक कहना था कि चुनाव के दौरान पार्टी नेतृत्व के नेताओं से बातचीत करना आसान था लेकिन प्रदेश के नेता संपर्क में नहीं आ रहे थे। कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता छोड़ने का ऐलान कर चुके पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव तो पहले ही कह चुके हैं कि नेताओं के दौरों के बारे में पहले सूचना ही नहीं दी गई।

जानिए क्या कहा था राहुल ने

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव के नतीजों के बाद नई दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं के साथ समीक्षा बैठक भी की थी। इस बैठक में उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि हरियाणा में नेताओं का इंटरेस्ट पार्टी से ऊपर हो गया था। इसी वजह से जीत के माहौल के बाद भी कांग्रेस चुनाव हार गई। हालांकि इसके बाद से लेकर अभी तक भी राहुल गांधी ने हरियाणा के चुनावी नतीजों को लेकर कोई बैठक नहीं की है।

ईवीएम को ठहराया दोषी

चुनावों में हार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने भारत के चुनाव आयोग से मुलाकात भी की थी। नतीजों के बाद पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा व प्रदेश अध्यक्ष चौ. उदयभान हार के लिए ईवीएम को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। यह भी आरोप लगाए कि कई जगहों पर ईवीएम 99 प्रतिशत चार्ज रही। वहां भाजपा जीत रही थी और कांग्रेस हार रही थी। जिन जगहों पर ईवीएम कम चार्ज थी, वहां कांग्रेस ने चुनाव जीता है। 20 के लगभग हलकों में ईवीएम की बैटरी 99 प्रतिशत चार्ज रहने को लेकर कांग्रेस की ओर से आयोग में शिकायत की है।

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