सुरेंद्र मेहता/हप्र
यमुनानगर, 12 जुलाई
यमुनानगर के हथिनीकुंड बैराज के पास बनाने वाले हथनीकुंड बांध का प्रारंभिक सर्वे पूरा हो चुका है। अब बांध निर्माण का दूसरा चरण शुरू होगा। इसके तहत बांध के स्थान पर आने वाले गांव, बिजली लाइनों को शिफ्ट किए जाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सरकार की ओर से प्रोजेक्ट में साझेदार हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व यूपी सरकार को पत्र भेजा गया है ताकि आगे की कार्रवाई शुरू हो सके। इस प्रोजेक्ट में हरियाणा के अतिरिक्त इन प्रदेशों का क्षेत्रफल भी आएगा। जमीन के अलावा इन प्रदेशों की सरकारों से लागत, पानी व बिजली के बंटवारे को लेकर भी एमओयू अभी होना है। दूसरा चरण प्राथमिक सर्वे के बाद भूगर्भ विभाग (जीएसआई) की टीम सेटेलाइट व प्रोजेक्ट स्थल का परीक्षण करेगी। इसमें देखा जाएगा कि यहां पहाड़ों में कौन-कौन से खनिज हैं। जमीन के अंदर कितनी गहराई पर कौन-सी मिट्टी या मिनरल हैं। सिल्ट का जमाव कितना रहेगा। बांध कितना ऊंचा बनाया जा सकता है। प्राथमिक सर्वे में जिस जगह को बांध के लिए उपयुक्त बताया गया है, वहां पहाड़ उचित हैं या स्थान बदला जाए। इन दो चरणों के बाद ही आगे जमीन अधिग्रहण आदि की प्रक्रिया शुरू होगी।
433.96 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी होगा जमा
सिंचाई विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर आर एस मित्तल ने बताया कि इस बांध में 433.96 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी स्टोर हो सकेगा। जो रबी सीजन के दौरान 4 महीनों में सिंचाई के लिए अतिरिक्त 1000 क्यूसेक पानी मिलेगा। बांध के बनने के बाद पानी पर आधारित बिजली प्रोजेक्ट के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा और बिजली के उत्पादन में भी इजाफा होगा। बांध का कार्य सेवानिवृत्त एआईसी हरमेल सिंह की अध्यक्षता में चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि सीएम मनोहर लाल ने मार्च 2020 में बांध बनाने की संभावनाओं को लेकर इस इलाके का दौरा किया था। उन्होंने अधिकारियों को इस कार्य के लिए शीघ्र प्रोजेक्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे।
4 प्रदेशों के 9 गांव होंगे शिफ्ट
सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने अभी जो अनुमानित डिमार्केशन की है, उसके हिसाब से 4 प्रदेशों के 9 गांवों को शिफ्ट करना पड़ सकता है। इनमें हरियाणा का गांव कलेसर, यूपी का गांव रहना, उत्तराखंड का एक गांव व हिमाचल के 6 गांव शामिल हैं। अप स्ट्रीम में बांध के जलभराव का क्षेत्र 15 किमी ऊपर पांवटा साहिब तक हो सकता है। सबसे अधिक जमीन भी हिमाचल प्रदेश की ही इसके एरिया में आएगी।
3 प्रदेशों को होगा सबसे अधिक फायदा
इस बांध के तैयार होने के बाद सबसे अधिक लाभ हरियाणा, दिल्ली व यूपी को होने वाला है। अभी गर्मी के सीजन में यमुना नदी का जलस्तर काफी कम हो जाता है। इससे यहां की नहरों में पानी की सप्लाई भी बार-बार बंद करनी पड़ती है, लेकिन बांध तैयार होने पर बरसात में तबाही का कारण बनने वाले लाखों क्यूसिक पानी को बांध रोकेगा। मानसून के दौरान पहाड़ों पर भारी वर्षा होने से यमुना का जलस्तर बढ़ जाता है। इससे हर साल लाखों क्यूसेक पानी यमुना में जाता है। जो हरियाणा के यमुना के साथ लगते विभिन्न जिलों के अलावा उत्तर प्रदेश के कई जिलों को प्रभावित करता हुआ दिल्ली में जाकर भारी तबाही मचाता है, उससे भी बचा जा सकेगा।
बाढ़ रोकथाम पर हर साल 20 से 25 करोड़ खर्च
बाढ़ से यमुना के साथ लगते इलाकों में भूमि कटाव होता है। पानी यमुना से बाहर निकल कर खेतों में चला जाता है। इससे न सिर्फ फसलों का नुकसान होता है बल्कि हर साल सैकड़ों एकड़ भूमि भी यमुना में समा जाती है। इससे बचाव के लिए सिंचाई विभाग हर साल 20 से 25 करोड़ की राशि बाढ़ रोकथाम कार्यों में लगाता है, वह भी नहीं लगानी पड़ेगी। बांध बनने के बाद हरियाणा, उत्तर प्रदेश व दिल्ली को पर्याप्त मात्रा में पानी मिलेगा।