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पराली जलाने पर हरियाणा सख्त, तीन एफआईआर दर्ज

किसानों पर लगाया गया जुर्माना, ‘पराली प्रोटेक्शन फोर्स’ मैदान में

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सांकेतिक फोटो
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हरियाणा सरकार ने धान कटाई के पीक सीजन से पहले ही पराली जलाने की रोकथाम को लेकर कड़ा रुख अपना लिया है। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में सोमवार को यहां हुई उच्च स्तरीय बैठक में स्पष्ट किया गया कि राज्य में पराली जलाने पर ‘शून्य सहिष्णुता नीति’ अपनाई जाएगी और किसी भी किसान को बख्शा नहीं जाएगा।कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार इस सीजन में अब तक फतेहाबाद, जींद और कुरुक्षेत्र से पराली जलाने के तीन मामले सामने आए हैं। सभी मामलों में एफआईआर दर्ज कर किसानों के भू-अभिलेखों में रेड एंट्री की गई है। साथ ही पर्यावरण क्षतिपूर्ति जुर्माना भी लगाया गया है। विभाग ने चेतावनी दी कि आगे कोई भी उल्लंघन हुआ तो और भी सख्त कार्रवाई होगी।

प्रदेश में इस वर्ष 39.33 लाख एकड़ धान क्षेत्र है। अब तक 5.65 लाख किसानों ने पराली प्रबंधन के लिए पंजीकरण कराया है। शीर्ष पांच जिले करनाल, कैथल, सिरसा, फतेहाबाद और जींद हैं। किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने 471.96 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इसके तहत प्रति एकड़ 1,200 रुपये की सहायता राशि दी जा रही है।

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मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि हर खेत का मानचित्रण कर यह तय किया जाए कि फसल अवशेष का इस्तेमाल चारे, उद्योग, बायोमास संयंत्र या ब्रिकेटिंग यूनिट्स में किया जा सके। किसानों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए सीधे औद्योगिक खरीदारों से जोड़ा जा रहा है, ताकि पराली को बाजार मिले और जलाने की नौबत न आए।

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उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को पराली प्रबंधन मशीनों पर सब्सिडी दे रही है। छोटे व सीमांत किसानों के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) बनाए गए हैं, जहां से मशीनें आसानी से किराये पर मिल सकें। कई जिलों में बहु-विभागीय ‘पराली प्रोटेक्शन फोर्स’ बनाई गई है जिसमें पुलिस, कृषि और प्रशासनिक अधिकारी शामिल होंगे। यह टीमें खेतों में निगरानी करेंगी।

किसानों द्वारा देर रात पराली जलाने की कोशिशों को रोकने के लिए शाम की गश्त पर जोर दिया गया है। शिकायतों के समाधान के लिए राज्य और जिला स्तर पर कंट्रोल रूम भी सक्रिय किए गए हैं। राज्य सरकार ने प्रमुख जिलों में 249 एकड़ पंचायती भूमि पर पराली भंडारण डिपो बनाए हैं। यहां पराली सुरक्षित रखी जाएगी और उद्योगों को निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित होगी। बैठक में कृषि, पर्यावरण, नगर एवं ग्राम आयोजना, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और विद्युत उत्पादन निगम के वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे।

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