Haryana College : कॉलेजों में अब तबादले होंगे ऑनलाइन, मैरिट से तय होंगे पद
Haryana College : हरियाणा के राजकीय कॉलेजों में अब तबादलों की कहानी पूरी तरह बदलने जा रही है। उच्चतर शिक्षा विभाग ने प्रदेश के कॉलेज शिक्षकों के लिए ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी लागू कर दी है। इसके तहत अब ट्रांसफर डिजिटल, पारदर्शी और मेरिट आधारित होंगे। विभाग ने 20 कॉडर के 7882 पदों का प्रारूप तैयार किया है, जिन पर नियुक्तियां और स्थानांतरण अब केवल एचआरएमएस पोर्टल के माध्यम से होंगे।
यह नीति प्रदेश के 187 राजकीय कॉलेजों में लागू की जाएगी। इससे कॉलेजों में खाली पड़े पद भी भरेंगे और तबादलों में वर्षों से चली आ रही अपारदर्शिता का अंत होगा। नई नीति के तहत ट्रांसफर की हर प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन और ओटीपी प्रमाणीकरण से सुरक्षित होगी। किसी भी स्तर पर मैनुअल दखल या सिफारिश की गुंजाइश नहीं रहेगी।
विभाग ने आदेशों में स्पष्ट किया है कि हर साल एक बार सामान्य ट्रांसफर ड्राइव चलाई जाएगी।
इसके अलावा, गंभीर बीमारी, पारिवारिक परिस्थितियों या मृत्यु जैसे मामलों में कर्मचारी वर्ष के किसी भी समय स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकेंगे। एक बार आदेश जारी होने के बाद 10 दिन के भीतर कार्यभार ग्रहण करना अनिवार्य होगा। साथ ही, नीति में संशोधन या बदलाव का विशेषाधिकार मुख्यमंत्री के पास रहेगा।
12 से 60 माह का कार्यकाल, मेरिट लागू होगी
विभाग ने प्रत्येक पद के लिए न्यूनतम कार्यकाल 12 माह और अधिकतम 60 माह (5 वर्ष) तय किया है। किसी भी शिक्षक की ट्रांसफर प्राथमिकता तय करने के लिए 80 अंकों का मेरिट पैमाना बनाया गया है। इसमें कई सामाजिक और सेवा-संबंधी पैरामीटर शामिल किए गए हैं ताकि निर्णय अधिक संवेदनशील और न्यायसंगत हो। महिला कर्मचारियों को 10 अंकों की अतिरिक्त वरीयता दी गई है। वहीं 40 वर्ष से अधिक आयु की विधवा, तलाकशुदा या कानूनी रूप से अलग रह रही महिला शिक्षिकाओं को विशेष लाभ मिलेगा।
तलाकशुदा और विधुर को भी 10 अंक
तलाकशुदा या विधुर पुरुष कर्मचारियों को भी 10 अंक मिलेंगे। यदि पति-पत्नी दोनों सरकारी सेवा में हैं (राज्य या केंद्र), तो ऐसे कपल केस को 5 अंक दिए जाएंगे। सैन्य या अर्द्ध-सैनिक बलों में कार्यरत कर्मियों के जीवनसाथी को 10 अंकों की छूट दी गई है। जो शिक्षक स्वयं या उनका कोई परिजन गंभीर बीमारी से पीड़ित है, उन्हें 10 अंक मिलेंगे। इसी प्रकार, जिनके बच्चे 100 प्रतिशत दिव्यांग हैं, या स्वयं कर्मचारी दिव्यांग हैं, उन्हें क्रमशः 10 और 20 अंकों की वरीयता दी जाएगी। हालांकि, जिन कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई है, उनके कुल मेरिट से 10 अंक घटा दिए जाएंगे। साथ ही, आयु और वरिष्ठता के लिए अलग 60 अंकों का प्रावधान रखा गया है, जिसमें वरिष्ठता को प्रमुख आधार माना गया है।
जल्द शुरू होगी पहली ट्रांसफर ड्राइव
नई पॉलिसी में कॉलेजों के 20 विषयों के 7882 पदों को शामिल किया गया है। इनमें अंग्रेजी (1146), कॉमर्स (1034), जियोग्राफी (806), गणित (704), केमिस्ट्री (583), हिंदी (528), फिजिक्स (488), पॉलिटिकल साइंस, जूलॉजी, साइकोलॉजी, संस्कृत, पंजाबी, बॉटनी, इकोनॉमिक्स जैसे विषय प्रमुख हैं। हर विषय में सहायक प्रोफेसरों के लिए 12 माह का न्यूनतम और 60 माह का अधिकतम कार्यकाल अनिवार्य किया गया है। विभाग अब इस नीति के अनुरूप पहली ट्रांसफर ड्राइव की तैयारी में जुटा है, जो इस वर्ष के अंत तक शुरू होने की संभावना है।
नीति का मकसद केवल डिजिटलाइजेशन नहीं, बल्कि सिस्टम में भरोसा और निष्पक्षता लौटाना है। अब हर शिक्षक को यह पता होगा कि किस आधार पर किसकी प्राथमिकता तय हुई। इससे सिफारिश और मनमानी का युग खत्म होगा। यह पहल कॉलेजों में मानव संसाधन संतुलन और पारदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।
