Haryana BJP Mission-2029 Strategy हारी हुई 42 सीटों पर भाजपा की नजर, मिशन-2029 की तैयारी तेज
हरियाणा की राजनीति में मंगलवार का दिन भाजपा के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम रहा। चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में मिशन-2029 की तैयारियों का आगाज़ हुआ। दिनभर चली बैठकों ने यह संकेत दिया कि पार्टी अब पिछली हार को पीछे छोड़कर नए विज़न और आक्रामक तेवर के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
सुबह मुख्यमंत्री आवास पर हुई पहली बैठक में जिला अध्यक्षों, प्रभारियों और पदाधिकारियों के साथ हाल ही में सम्पन्न जिला कार्यकारिणी बैठकों की समीक्षा की गई। इसमें सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता पर बल दिया गया।
बैठक में प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली, संगठन मंत्री फणीन्द्रनाथ शर्मा, प्रदेश महामंत्री व कैबिनेट मंत्री कृष्ण कुमार बेदी, डॉ. अर्चना गुप्ता और सुरेंद्र पूनिया भी मौजूद रहे। चर्चा का मुख्य बिंदु यह रहा कि सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को जनता तक अधिक प्रभावी और सटीक तरीके से पहुँचाया जाए, ताकि पार्टी की पकड़ गांव-गांव, घर-घर तक मजबूत हो सके।
इन सीटों पर फोकस
इसके बाद भाजपा ने उन 42 नेताओं को बुलाया, जो 2024 विधानसभा चुनाव में पार्टी टिकट पर हार चुके थे। इस सूची में कई बड़े नाम शामिल थे।
पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु
पूर्व कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता
इन नेताओं से सीट-वार फीडबैक लिया गया। स्थानीय मुद्दों, विपक्ष की रणनीति और जातीय समीकरणों पर गहन चर्चा हुई। पार्टी का मानना है कि यदि इन सीटों पर अभी से मजबूत तैयारी की जाए, तो 2029 तक भाजपा दोबारा बहुमत की ओर बढ़ सकती है।
विधायकों और मंत्रियों से समीक्षा
दिनभर बैठकों का दौर चलता रहा। दोपहर 3 बजे मुख्यमंत्री ने विधायकों से मुलाकात कर उनके क्षेत्रों में चल रहे विकास कार्यों और स्थानीय चुनौतियों की समीक्षा की। शाम 5 बजे मंत्रियों के साथ बैठक हुई, जिसमें विभागीय कार्यों की प्रगति और आगामी प्राथमिक योजनाओं पर चर्चा की गई।
इन बैठकों से यह संदेश भी गया कि आने वाले समय में कामकाज और जनता के बीच सक्रियता ही पार्टी के नेताओं की पहचान बनेगी।
मिशन-2029 का बड़ा संदेश
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन बैठकों से भाजपा ने तीन बड़े संदेश दिए हैं— संगठन को जमीनी स्तर पर और मजबूत करना है। जनता से सीधा और निरंतर संवाद स्थापित करना। हारी हुई सीटों पर विशेष रणनीति बनाना।
पार्टी की रणनीति अब स्पष्ट है कि 2024 की हार अतीत का हिस्सा है, लक्ष्य 2029 का है। विपक्षी दलों की निगाहें भी भाजपा की इस कवायद पर टिकी हुई हैं, क्योंकि यह तैयारियां आने वाले दिनों में हरियाणा की राजनीति का स्वरूप बदल सकती हैं।