हरियाणा बनाओ अभियान : नई राजधानी और अलग HC की ‘जंग’ तेज, एक मंच पर दिखे सामाजिक कार्यकर्ता समेत ये लोग
प्रदेश को उसकी स्वतंत्र पहचान और पूर्ण स्वायत्तता दिलाने के लिए ‘हरियाणा बनाओ अभियान’ ने आज चंडीगढ़ में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की। इसमें पूर्व मुख्य सचिव एससी चौधरी, भारत सरकार के पूर्व उपसचिव एमएस चोपड़ा, पद्मश्री महावीर गुड्डु, पूर्व उपकुलपति राधेश्याम शर्मा, बार काउंसिल पंजाब एवं हरियाणा के पूर्व चेयरमैन एडवोकेट रणधीर सिंह बधरणा, संयोजक ईश्वर सिंह दूहन, रणधीर सिंह सरोहा, बिमला चौधरी, सुनील कत्याल, एडवोकेट ललित बराड़ा, यादविंदर सिंह, एडवोकेट रविकांत सैन, रिया मलिक, दीपल तमांग, अनुकृति सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रिंसिपल ओएसडी रहे एमएस चोपड़ा ने कहा कि हरियाणा को पंजाब से अलग हुए 58 साल हो चुके हैं, लेकिन यह अब तक अपनी राजधानी और अलग हाईकोर्ट नहीं बना सका। हरियाणा का गौरवशाली इतिहास और समृद्ध संस्कृति राज्य की अलग पहचान बनाते हैं, लेकिन आज यहां के पास अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाने और विरासत को संजोने के लिए कोई केंद्रीय स्थान नहीं है। नई राजधानी से राज्य के अविकसित क्षेत्रों के विकास और अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।
हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव एससी चौधरी ने कहा कि चंडीगढ़ राज्य के एक कोने में है, जिससे अधिकतर जिलों के लोगों को प्रशासनिक दफ्तरों और हाईकोर्ट तक पहुंचने में समय और पैसे दोनों की भारी लागत उठानी पड़ती है। लाखों मामले लंबित हैं और हरियाणा के वादकारियों को न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। अलग हाईकोर्ट से त्वरित और सुलभ न्याय संभव होगा।
नई राजधानी से रोजगार के अवसर : राधेश्याम शर्मा
पूर्व उपकुलपति राधेश्याम शर्मा ने कहा कि हरियाणा के सामने बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि युवा निराश होकर नशे और अपराध की ओर बढ़ रहे हैं या पलायन कर रहे हैं। नई राजधानी के निर्माण से गुरुग्राम की तरह अरबों-खरबों का निवेश आएगा और लाखों युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार मिलेगा।
विशिष्ट पहचान और प्रतिष्ठा की जरूरत : गुड्डु
पद्दश्री महावीर गुड्डु ने कहा कि राज्य की विशिष्ट पहचान, सम्पूर्णता, प्रगति और प्रतिष्ठा के लिए दूसरी राजधानी और अलग उच्च न्यायालय आवश्यक हैं। राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक शक्तियों का केंद्रीकरण ही हरियाणा के सर्वांगीण विकास का मार्ग है।
अलग बार काउंसिल जरूरी : रणधीर सिंह बधरणा
बार काउंसिल पंजाब एवं हरियाणा के पूर्व चेयरमैन एडवोकेट रणधीर सिंह बधरणा ने कहा कि हरियाणा और पंजाब के लिए अलग-अलग बार काउंसिल होनी चाहिए। हरियाणा के 14,25,047 मामले जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में लंबित हैं। 4.5 लाख से अधिक मामले हाईकोर्ट में। उन्होंने कहा कि लगभग 45 लाख लोग मुकदमों में उलझे हैं। अलग हाईकोर्ट से ही त्वरित न्याय संभव है।