हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र बनेगा ‘हॉट-वेदर’ शो
यह मामला खेल अवसंरचना और रखरखाव की बदहाली को उजागर करता है, जिसे विपक्ष सरकार की लापरवाही करार देने की तैयारी में है। कांग्रेस की ओर से ‘काम रोको प्रस्ताव’ लाने की संभावना भी जताई जा रही है, ताकि इस केस पर सदन की पूरी कार्यवाही रोकी जाकर व्यापक चर्चा कराई जा सके।
खास बात यह है कि घटनाओं की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट ने संबंधित स्टेडियमों को खेल विभाग से बाहर का बताकर क्लीन चिट देने की कोशिश की थी, लेकिन खिलाड़ियों की मौत पर उठे जनाक्रोश और राजनीतिक दबाव के बाद खेल राज्यमंत्री गौरव गौतम को सार्वजनिक रूप से कहना पड़ा कि किसी को क्लीन चिट नहीं मिलेगी। यही बयान विपक्ष को और आक्रामक करने का आधार बन चुका है।
छोटा सत्र, लेकिन हंगामा बड़ा
शीतकालीन सत्र बेशक छोटा ही रहेगा लेकिन विपक्ष के सवालों की रफ्तार तेज रहेगी। अगर सत्र 26 दिसंबर से शुरू होता है तो 27 और 28 को शनिवार व रविवार का अवकाश रहेगा। इसके बाद 29 और 30 दिसंबर को सदन में मुख्य बहसें होंगी। 31 दिसंबर को कार्यवाही जल्द खत्म करने की परंपरा के बावजूद राजनीतिक गर्मी कम होने वाली नहीं है। विधानसभा सचिवालय और विभागों ने विधायी कार्य और जवाब पहले से तैयार रखने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
धान घोटाला और जलभराव भी बनेगा मुद्दा
खिलाड़ियों की मौत के अलावा खेतों में लंबे समय से बने जलभराव, खराब फसल के मुआवजे में देरी और धान खरीद में हुए घोटाले में हैफेड अधिकारियों की भूमिका भी सत्र को गरमाएगी। कांग्रेस और इनेलो इन मुद्दों पर पहले ही राज्यपाल से मिल चुके हैं। विपक्ष का दावा है कि किसानों की समस्याओं पर सरकार पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।
सुसाइड केस पर होगी गरमी
अबकी बार सत्र में कानून-व्यवस्था पर बहस पहले से ज्यादा तीखी होने की संभावना है। एडीजीपी वाई पूरन कुमार और एएसआई संदीप लाठर के सुसाइड मामलों ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े किए हैं। विपक्ष इस मुद्दे पर भी सरकार को चारों ओर से घेरने की योजना बना चुका है। आरोप हैं कि पुलिस तंत्र के भीतर बढ़ते दबाव और अव्यवस्था ने इन घटनाओं को जन्म दिया। दूसरी ओर, सरकार ने सभी विवादित मामलों पर अपने जवाब तैयार कर लिए हैं। सत्तापक्ष का दावा है कि विपक्ष सिर्फ राजनीतिक रोटी सेकना चाहता है, जबकि सरकार हर मामले की पारदर्शी जांच और समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।
