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Haryana Assembly Session : हरियाणा में हरी खाद की खेती में 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी, 2024-25 में 4.06 लाख एकड़ में बोई गई ढैंचा

मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने में मददगार साबित होगी
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चंडीगढ़: शुक्रवार को चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन किया. ट्रिब्यून फोटो: रवि कुमार
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Haryana Assembly : हरियाणा में किसानों ने पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर अब मिट्टी की सेहत सुधारने पर जोर देना शुरू कर दिया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने मंगलवार को विधानसभा में बताया कि खरीफ 2023-24 में जहां 3,31,939 एकड़ में हरी खाद (ढैंचा) बोई गई थी, वहीं 2024-25 में यह रकबा बढ़कर 4,06,026 एकड़ हो गया। यानी इस साल हरी खाद की खेती में 22.31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यमुनानगर विधायक घनश्याम दास अरोड़ा के सवाल पर सदन में यह जवाब आया।

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हरी खाद से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। ढैंचा जैसी फसलें नाइट्रोजन को मिट्टी में स्थिर करती हैं, जिससे खेत की उत्पादकता लंबे समय तक बनी रहती है। रासायनिक खाद पर निर्भरता घटती है और किसान उर्वरक खरीदने पर होने वाले खर्च को बचा सकते हैं। मिट्टी की संरचना सुधरती है। हरी खाद मिट्टी में जैविक पदार्थ बढ़ाती है, जिससे मिट्टी भुरभुरी और पानी सोखने योग्य बनती है। इसी तरह से हरी खाद से कई हानिकारक कीट-पतंगों और खरपतवारों पर नियंत्रण होता है।

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सबसे ज्यादा बढ़ोतरी वाले जिले

फतेहाबाद : 26,964 से बढ़कर 37,856 एकड़

जींद : 23,533 से बढ़कर 36,791 एकड़

हिसार : 17,584 से बढ़कर 30,000 एकड़

कुरुक्षेत्र : 14,381 से बढ़कर 22,088 एकड़

पलवल : 14,489 से बढ़कर 24,999 एकड़

अभियान चला रही सरकार : राणा

कृषि मंत्री राणा ने कहा कि राज्य सरकार किसानों को हरी खाद की महत्ता समझाने के लिए अभियान चला रही है। उन्होंने कहा कि हरी खाद मिट्टी की जीवनरेखा है। इससे लागत घटेगी, पैदावार बढ़ेगी और किसान लाभ में रहेंगे। वहीं कृषि वैज्ञानिकों का भी मानना है कि हरी खाद का बढ़ना पर्यावरण और किसानों दोनों के लिए फायदेमंद है।

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