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Haryana Agriculture Budget: बजट में किसानों को रिझाने की कोशिश, नायब ने दी कई बड़ी सौगात

लीची, स्ट्राबेरी व खजूर की खेती करेंगे हरियाणा के किसान, धान की खेती छोड़ने पर अब किसानों को मिलेंगे 8 हजार रुपये प्रति एकड़
सांकेतिक फाइल फोटो।
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिब्यून न्यूज सर्विस, चंडीगढ़, 17 मार्च

हरियाणा की नायब सरकार ने किसानों व पशुपालकों को रिझाने के लिए कई नई योजनाओं की शुरूआत करने का निर्णय लिया है। प्रदेश में अब लीची, स्ट्राबेरी और खजूर की खेती भी किसान करेंगे। ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के तहत धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को मिलने वाली 7 हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 8 हजार रुपये किया है। इतना ही नहीं, पराली प्रबंधन के लिए किसानों को अब 1000 की बजाय 1200 रुपये प्रति एकड़ अनुदान मिलेगा।

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प्रदेश में वर्तमान में 11 जगहों पर बागवानी क्षेत्र के लिए एक्सीलेंस सेंटर (उत्कृष्टता केंद्र) कार्य कर रहे हैं। तीन केंद्रों र निर्माण चल रहा है। नायब सरकार ने अंबाला में लीची, यमुनानगर में स्ट्राबेरी और हिसार में खजूर के लिए नये उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। ये एक्सीलेंस सेंटर प्रदेश के किसानों को इन तीनों की खेती में मदद करेंगे। सरकार का मानना है कि लीची, स्ट्रोबरी व खूजर की खेती से किसानों की आर्थिक आय बढ़ सकेगी।

सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि कुछ काली भेड़ें नकली बीज व कीटनाशक बेच कर किसानों को बर्बाद करने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इसी बजट सत्र के दौरान सरकार ऐसे लोगों से निपटने के लिए सख्त कानून लेकर आएगी। उन्होंने कहा कि बागवानी किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए नई बागवानी नीति लाई जाएगी। इसके तहत मूल्य संवर्द्धन, भंडारण, प्रोद्यौगिकी, मार्केटिंग, प्राकृतिक व जैविक बागवानी से जुड़े कृषक उत्पादक संगठनों को मजबूत किया जाएगा।

सीएम ने 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर की गई घोषणा को बजट में सिरे चढ़ाते हुए कहा कि महिला किसान को डेयरी स्थापित करने पर एक लाख रुपये तक ब्याज रहित ऋण मुहैया करवाया जाएगा। ब्याज का पूरा भार सरकार वहन करेगी। महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में कृषि, बागवानी, पशुपालन एवं मत्स्य पालन विभागों की विभिन्न योजनाओं को महिला उन्मुखी बनाया जाएगा। इनमें से किसी भी योजनाओं के लिए महिलाओं द्वारा लिए गए पहले एक लाख रुपये तक के ऋण पर ब्याज नहीं लिया जाएगा।

गाेबर खाद को व्यवस्थित तरीके से व्यापक प्रोत्साहन देने के लिए सरकार योजना बनाएगी। इसी तरह से मोरनी हिल्स में किसानों की समस्याओं को देखते हुए भी सरकार ने विशेष कार्ययोजना बनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत हिल्स एरिया के किसानों की आय बढ़ाने पर काम होगा। इसी तरह से भेड़-बकरी की उच्च आनुवंशिक नस्लें – बीटल, सिरोही व मुंजल आदि किसानों को उपलब्ध करवाने के लिए योजना बनाई जाएगी। हरियाणा में ये तीनों ही नस्लें उपलब्ध नहीं हैं।

एक लाख एकड़ में प्राकृतिक खेती

2024-25 के मनोहर सरकार के 25 हजार एकड़ के मुकाबले इस बार नायब सरकार ने अगले एक साल में प्रदेश में एक लाख एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती का लक्ष्य रखा है। प्राकृतिक खेती की योजना के तहत किसानों को देसी गाय खरीदने पर 25 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता था। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस बजट में इस अनुदान राशि को बढ़ाकर 30 हजार रुपये करने का ऐलान किया है। इतना ही नहीं, अभी तक कम से कम दो एकड़ भूमि पर खेती करने पर ही किसानों को यह अनुदान मिलता था। अब एक एकड़ भूमि वाले किसान भी गाय खरीद के लिए अनुदान ले सकेंगे।

धान छोड़ने पर 8 हजार प्रति एकड़

मनोहर सरकार ने पानी बचाने के लिए ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना शुरू की थी। इसके तहत धान की जगह दूसरी खेती करने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्राेत्साहन राशि मिलती थी। नायब सरकार ने इस राशि को बढ़ाकर 8 हजार रुपये प्रति एकड़ कर दिया है। इतना ही नहीं, जो ग्राम पंचायतें अपनी काश्त लायक भूमि को धान उगाने के लिए पट्टे पर देने की बजाय जमीन को खाली छोड़ेंगी, उन्हें भी यह प्रोत्साहन राशि मिलेगी।

सीधी बुआई पर 4500 का अनुदान

धान की सीधी बुआई में पानी कम इस्तेमाल होता है। धान की एेसी बुआई यानी डीएसआर की अनुदान राशि नायब सरकार ने 4000 रुपये प्रति एकड़ से बढ़ाकर 4500 रुपये प्रति एकड़ किया है। यहां बता दें कि यह योजना भी पूर्व की मनोहर सरकार के समय शुरू की गई थी। अब नायब सरकार ने इस योजना को जारी रखते हुए इसका विस्तार करने का निर्णय लिया है।

पराली का होगा प्रबंधन

पराली प्रबंधन के लिए केंद्र की योजना के तहत हरियाणा में पूर्व की मनोहर सरकार ने पराली प्रबंधन योजना शुरू की थी। इसके तहत किसानांे को पराली प्रबंधन के लिए एक हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान दिया जाता था। नायब सरकार ने इस अनुदान राशि को बढ़ाकर 1200 रुपये प्रति एकड़ करने का निर्णय लिया है।

एक लाख एकड़ भूमि सुधरेगी

हरियाणा के झज्जर, रोहतक, दादरी सहित कई जिलों में लवणीय/नमकीन भूमि बड़ी समस्या बनी हुई है। इस जमीन पर खेती भी नहीं हो पाती। पिछले साल सरकार ने 62 हजार एकड़ लवणीय भूमि का सुधार कर कृषि योग्य बनाने का फैसला लिया था। अब नायब सरकार ने इसमें विस्तार करके एक लाख एकड़ भूमि के सुधार का निर्णय लिया है।

अब पोर्टल के जरिये मिलेगा यूरिया

प्रदेश में फसली सीजन के समय हर वर्ष यूरिया व डीएपी खाद के संकट को लेकर विवाद होता है। कई बार थानों में खाद बंटवाई गई। इस समस्या के स्थाई समाधान के तौर पर नायब सरकार ने यूरिया व डीएपी की बिक्री ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल के जरिये करने का निर्णय लिया है। यानी अब सरकार इस पोर्टल के साथ बिक्री को जोड़ेगी। इससे नैनो यूरिया व नैना डीएपी को भी बढ़ावा मिलेगा। सरकार का दावा है कि किसानों के सुझाव पर ही यह कदम उठाया है। इससे बिक्री तर्कसंगत हो सकेगी।

अब सभी फसलों के लिए गेट पास

प्रदेश सरकार ने पिछले खरीफ सीजन में फसलांे को एक गेट पास जारी करने का व्यवस्था शुरू की थी। इसकी कामयाबी के बाद अब सभी फसलांे की मंडियों में बिक्री के लिए गेट पास अनिवार्य किया जाएगा। इसी तरह से ई-नाम के साथ संपूर्ण एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए सभी मंडियों का नवीनीकरण किया जाएगा। गन्ने की कटाई के लिए सरकार हारवैस्टर मशीन पर किसानों को सब्सिडी देगी।

सभी जिलों में बीज टेस्टिंग लैब

नायब सरकार ने राज्य के सभी जिलों में बीज टेस्टिंग लैब स्थापित करने का निर्णय लिया है। राज्य में वर्तमान में करनाल, पंचकूला, सिरसा और रोहतक में ही इस तरह की लैब हैं। राज्य के बाकी 18 जिलों में भी एक-एक लैब हरियाणा बीज प्रमाणीकरण एजेंसी द्वारा स्थापित की जाएगी। इससे नकली बीजों से किसानों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा। साथ ही, किसानों को उनके ही जिलों में यह सुविधा मिल सकेगी।

पलवल में हार्टिकल्चर रिसर्च सेंटर

करनाल की महाराणा प्रताप हार्टिकल्चर यूनिवर्सिटी का रिसर्च सेंटर पलवल में स्थापित किया जाएगा। पिछले साल 9 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस यूनिवर्सिटी का शिलान्यास किया था। यह यूनिवर्सिटी प्रदेश में 13 उत्कृष्टता केंद्रों को बागवानी विज्ञान केंद्रों के रूप में विकसित करेगी। पिछले दिनांे सीएम नायब सिंह सैनी ने अंबाला के चांदसोली में हार्टिकल्चर रिसर्च सेंटर का उदघाटन किया था। इसी तर्ज पर यूनिवर्सिटी का एक रिसर्च सेंटर पलवल में स्थापित होगा।

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