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पानी बचाने के लिए हरियाणा ने अपनाया थ्री ‘आर’ फार्मूला

उदयपुर में देशभर के जल मंत्रियों का सम्मेलन, पानी बचाने पर हुआ मंथन । कैबिनेट मंत्री, श्रुति चौधरी व रणबीर गंगवा ने की शिरकत

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चंडीगढ़, 18 फरवरी (ट्रिन्यू)

हरियाणा सरकार पानी बचाने के लिए ‘थ्री-आर’ फार्मूले पर काम कर रही है। यानी रिड्यूस, रीसाइकिल और रीयूज के सिद्धांत पर काम हो रहा है। इसके अलावा भी प्रदेश में पानी संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। हर जिले तक पानी पहुंचाने के लिए पर्याप्त कार्य किए जा रहे हैं। हरियाणा की सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री श्रुति चौधरी ने मंगलवार को उदयपुर में यह बात कही।

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वे केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित देशभर के जल मंत्रियों के सम्मेलन में शिरकत कर रही हैं। इस दो दिवसीय सम्मेलन में हरियाणा के पब्लिक हेल्थ मंत्री रणबीर सिंह गंगवा भी भाग ले रहे हैं। श्रुति चौधरी ने बताया कि सम्मेलन में देश के जल संकट और पानी के जल संचय को लेकर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन भारत के जल सुरक्षा भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा ने अब तक एकीकृत जल संसाधन योजनाओं में निर्धारित लक्ष्य का लगभग 4.6 बिलियन क्यूबिक मीटर (75 प्रतिशत) पानी की बचत की है। लगभग 4.54 लाख एकड़ में चावल की सीधी बुआई को बड़े पैमाने पर अपनाया है। 788 प्रभावी तालाबों का नवीनीकरण और सिंचाई और शहरी प्रबंधन के लिए 12 हजार करोड़ लीटर अपशिष्ट जल का उपयोग हो रहा है।

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कृषि के लिए उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करने की कई परियोजनाएं पूरी होने वाली हैं। उन्होंने इस दौरान भारत सरकार से किशाऊ बांध परियोजना के एमओयू की अंतिम प्रक्रिया में तेजी लाने का भी आग्रह किया। इससे हरियाणा को 709 क्यूसेक पानी मिलेगा, जो जल सुरक्षित हरियाणा के हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगा। उन्होंने केंद्र सरकार से सतलुज यमुना लिंक नहर और मावी बैराज के निर्माण की मांग भी की।

श्रुति चौधरी ने पूर्व सीएम चौ. बंसीलाल को किया याद

श्रुति चौधरी ने भूतपूर्व मुख्यमंत्री चौ़ बंसीलाल को भी याद करते हुए कहा कि पश्चिमी व दक्षिणी हरियाणा में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करने में चौ़ बंसीलाल की अहम भूमिका रही। उन्हीं के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हम इस दिशा में पारदर्शिता के साथ काम कर रहे हैं। सम्मेलन में जल प्रबंधन के साथ-साथ सीमा पार सहयोग, अभिनव वित्तपोषण और सामुदायिक भागीदारी पर चर्चा हो रही है।

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