अजय मल्होत्रा/ हप्र
भिवानी, 25 अप्रैल
सूखे चारे की कमी ने भिवानी सहित समूचे दक्षिण हरियाणा में नया बवाल खड़ा कर दिया है। जिलाधीश ने जहां सूखा चारा जिले से बाहर ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है वहीं भाजपा सांसद धर्मबीर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह रोक हटाने की मांग की है। गौरतलब है कि अबकी बार सूखे चारे की भारी किल्लत बनी हुई है। खासतौर पर क्षेत्र की गौशालाओं पर इसका व्यापक असर देखा जा रहा है। बढ़ती दरों से निपटने व सूखे चारे की कमी को लेकर कल जिले की सभी गौशालाओं के संचालकों की एक बैठक भी होगी। इस बैठक में गम्भीर होती स्थिति पर मंथन होगा। सूखे चारे के अभाव में भिवानी की चारामंडी भी विरान दिखाई दे रही है और तूड़े के दाम भी आसमान को छूने लगे हैं। आम पशु पालकों के लिए यह विकट घड़ी है क्योंकि दक्षिण हरियाणा में हरे चारे की पहले से ही किल्लत रहती है।
खासतौर पर गर्मी के मौसम में तो हरा चारा मिलना नामुमकिन हो जाता है। जिले में लगभग 100 गौशालाए हैं ओर ये सभी विभिन्न पंचायतों अथवा सामाजिक संस्थाओं द्वारा संचालित हैं। आमतौर पर इन गौशलाओं में लोग दान में चारा देते हैं, लेकिन अबकी बार दान में मिलने वाले सीजनल चारे की मात्रा 5 गुणा कम है। ऐसे में आने वाले दिनों में स्थिति और भी अधिक विकट हो सकती है। बीती सर्दियों में सूखे चारे के दाम 450 रूपए प्रति क्विंटल से बढक़र 800 रुपए तक जा पहुंचे थे। जिस कारण किसानों में यह बात फैल गई कि अबकी बार भी दाम तेजी से बढ़ेंगे और अधिकांश किसानों ने तूड़ा अबकी बार चारा मंडिय़ों में ही नहीं भेजा और इसी अपने ही खेत खलिहान और घरों में जमा कर लिया। ऐसे में अभी से दाम 1 हजार 50 रुपए प्रति क्विंटल हो गए हैं।
कम्बाईन मशीनों ने बिगाड़ा गणित : अबकी बार पहले से ही सरसों के मुकाबले गेहूं की बिजाई का रकबा कहीं कम था । उस पर मार्च माह में पड़ी तेज गर्मी ने किसानों को परेशानी में डाल दिया। गेहूं की जल्दी पकाई और मजदूरों की कमी ने उन्हें कम्बाइन मशीनों का सहारा लेने पर मजबूर कर दिया। ऐसे में लगभग अधिकांश किसानों ने जल्दबाजी में अपनी गेहूं कम्बाइन मशीनों से कटवा ली। कम्बाइन से गेहूं कटाई के बाद तूड़े की मात्रा आधी रह गई। आमतौर पर हाथ से कटाई करने से एक एकड़ में 40 से 45 मण तूड़ा निकलता है, लेकिन कम्बाइन मशीन से कटाई करने पर इसकी मात्रा केवल 15 से 20 क्विंटल रह जाती है।
क्या कहते हैं सांसद
भिवानी-महेंंद्रगढ़ के भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि उनके भिवानी-महेंंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र में अबकी बार गेहूं के मुकाबले सरसों की खेती ज्यादा की गई है और उस पर अत्यधिक गर्मी के कारण गेहूं का दाना सिकुड़ गया। तूड़ा भी अपेक्षाकृत काफी कम हुआ है। ऐसे में क्षेत्र की 100 गौशलाओं के लिए चारें की समस्या पैदा हो गई है। उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा दूसरे जिलों में तूड़ा ले जाने से रोक ने हालात को ओर भी ज्यादा विकट बना दिया है। उन्होंने कहा कि करनाल, जींद, कैथल, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, अम्बाला आदि में तूड़ा ज्यादा है और अगर उसे अभाव वाले क्षेत्र में लाने के लिए रोका गया तो समस्या और बढ़ेगी। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि गौवंश को बचाने के लिए सरकार अपने स्तर पर चारे का प्रबंध करे अन्यथा गौवंश भूखा मरने की स्थिति में आ सकता है।
क्या बोले गौशाला संचालक
गौशाला संचालक सरपंच दिनेश शर्मा का कहना है कि तूड़े की कमी का यह आलम है कि गौशालाओं में चारे की अभूतपूर्व किल्लत हो गई है और अगर शीघ्र ही चारे की व्यवस्था नहीं हुई तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी अधिक विकट हो जायेगी।
ये है कृषि विशेषज्ञ की राय
कृषि विशेषज्ञ डा. सतबीर शर्मा ने कहा कि कम्बाइन से गेहूं काटने के कारण एक फुट तक नीचे के फाने खड़े रह जाते हैं और रिपर मशीनें कम मात्रा में तूड़ा निकालती हैं। ऐसे में तूड़े की मात्रा स्वयंत कम हो जाती है।