गुरुग्राम, 28 अक्तूबर (हप्र)
हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (हरेरा) की गुरुग्राम बैंच ने डेवेलपर्स के खिलाफ चल रहे मामलों में सुनाए गए निर्णयों के तहत प्रमोटर्स पर कड़ी चौकसी रखने के अलावा रियल एस्टेट सेक्टर को नियमित करने के साथ-साथ मानकीकृत अचल संपत्ति क्षेत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। इन फैसलों से रियल एस्टेट सेक्टर के पारदर्शी और कुशल तरीके से काम करने की राह बनी है।
गुरुग्राम बैंच के चेयरमैन केके खंडेलवाल और सदस्य एससी कुश ने कई आवंटियों द्वारा की गई शिकायतों के मद्देनजर विभिन्न प्रमोटरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। मेसर्स सीएचडी डेवेलपर्स, मेसर्स आइरियो प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स लैंडमार्क अपार्टमेंट्स, मेसर्स सिद्धार्थ बिल्डहोम, मेसर्स वाटिका लिमिटेड, मेसर्स ताशी लैंड डेवलपर्स और मेसर्स तुलसियानी कंस्ट्रक्शंस एंड डेवेलपर्स के खिलाफ निष्पादन की कार्रवाई में प्राधिकरण ने निदेशकों की चल संपत्तियों के साथ-साथ 7 करोड़ रुपये की बड़ी राशि तक के बैंक खातों को संलग्न करने के आदेश दिए हैं। प्राधिकरण के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए मैसर्स प्राइम टाइम इंफ्रा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया गया है। निष्पादन याचिकाओं से संबंधित मामलों की सुनवाई के दौरान अथॉरिटी ने पाया कि मेसर्स क्लेरियन प्रॉपर्टीज लिमिटेड ने प्राधिकरण के साथ विचाराधीन परियोजना को पंजीकृत नहीं करके अधिनियम की धारा-3 का उल्लंघन किया है।
प्राधिकरण ने धारा-59 के तहत परियोजना के गैर-पंजीकरण के लिए डेवेलपर के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया जिसमें कहा गया,‘प्रमोटर अचल संपत्ति परियोजना की अनुमानित लागत का 10 प्रतिशत तक जुर्माना के लिए उत्तरदायी होगा, यदि प्रमोटर धारा-3 के प्रावधानों का उल्लंघन करना जारी रखता है तो 3 साल तक के कारावास या रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत का 10 प्रतिशत तक जुर्माना या दोनों के साथ दंडनीय होगा।’
चूंकि, प्रोमोटर्स अनुचित व्यापार प्रथाओं में शामिल होते हैं, जिनमें कब्जे को सौंपने में देरी होती है। मेसर्स सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ आई शिकायतों में प्रमोटर के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की गई और प्राधिकरण ने प्रमोटर द्वारा कब्जे सौंपने में देरी के लिए आवंटी को 5 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। प्रमोटर मेसर्स सुपरटेक लिमिटेड पर निर्धारित समय के भीतर जवाब दाखिल नहीं करने के लिए एक लाख 30 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया गया है।
डिफाल्टर प्रमोटर्स के खिलाफ की गई कार्रवाई न केवल रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास का वातावरण प्रदान करने में मदद करेगी बल्कि प्रमोटर्स पर निर्धारित समय सीमा के भीतर अपनी परियोजनाओं को पूरा करने का दबाव भी बनेगा। इन फैसलों से आवंटियों का अथॉरिटी में विश्वास बढ़ेगा।
-केके खंडेलवाल, चेयरमैन-हरेरा गुरुग्राम