महावीर गोयल/वाप्र
पानीपत, 16 जुलाई
टेक्सटाइल उद्योग की बार-बार मांग के बावजूद चीन से तैयार कपड़े की आवक जारी है। इससे स्थानीय हैंडलूम गारमेंट उद्योग का झटका लगा है। कच्चे माल धागे पर तो बीआईएस ( ब्यूरो इंडियन स्टैंडर्ड) लागू कर दिया है, जबकि तैयार कपड़े पर इसे नहीं लगाया गया। इसका सीधा लाभ चीन को मिल हा है। चीन से हल्के धागे का बना कपड़ा देश में आ रहा है। जो यहां बनने वाले कपड़े से सस्ता पड़ता है। सस्ता होने के कारण देश के कपड़ा उद्योग मंदी झेल रहे हैं। उद्यमियों ने पत्र लिखकर टेक्सटाइल मंत्रालय से तैयार कपड़े पर भी बीआईएस लागू करने की मांग की है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। कारोबारियों के अनुसार मई महीने में नार्थ पोर्टों पर 50 हजार टन पोलियस्टर ( निटिंग फैबरिक्स) आ चुका है। एक महीने में इतना फैबरिक्स 200 उद्योगों के उत्पादन के बराबर है। यदि यही हालत रहे तो टेक्सटाइल उद्योग जिनमें मिंक कंबल, थ्री-डी चादर से लेकर सूटिरंग शर्टिंग उद्योगों है, उनको अपना वजूद कायम रखना आसान नहीं रहेगा। निर्यातक बड़े कारोबारी यदि पांच डाॅलर के हिसाब से कपड़ा चीन से ला रहे है तो छोटे कारोबारी वह कपड़ा एक से दो डालर में ला रहे हैं। छोटे दुकानदार इकट्ठा होकर कंटेनर मंगवा रहे हैं। चीन से आ रहे कपड़े से ट्रेडर्स तो चांदी कूट रहे हैं, लेकिन मैन्युफैक्चर्स की हालत खस्ता हो रहा है। निर्यातकों को ड्यूटी नहीं देनी होती। इसका सीधा असर रोजगार पर भी पड़ रहा है। उद्योगों में मंदी के नाम पर छंटनी चल रही है।
‘कपड़े पर भी लागू हो बीआईएस’
हरियाणा चैंबर आफ कामर्स के पूर्व प्रधान विनोद खंडेलवाल ने कहा कि चीन से जो कपड़ा आ रहा है। उस पर भी बीआइएस लागू किया जाना चाहिए ताकि वहां से भी अच्छी क्वालिटी का कपड़ा ही आ सके। इससे यहां के उद्योग प्रतिस्पर्धा में टिक सकेंगे।