चंडीगढ़, 24 मई (ट्रिन्यू)
हरियाणा के पूर्व सीएम व विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश में बिजली संकट के लिए भाजपा सरकार को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि सरकार ने अगर खुद के पावर प्लांट ही पूरी क्षमता से चलाए होते तो आज भी हरियाणा बिजली के मामले में सरप्लस स्टेट होता। कांग्रेस राज में प्रदेश में 4 नये प्लांट लगाए गए थे। कई प्राइवेट कंपनियों के साथ भी सस्ती दरों पर बिजली खरीद के लांग-टर्म एग्रीमेंट किए थे।
मंगलवार को चंडीगढ़ में मीडिया से बातचीत में पूर्व सीएम ने कहा, झाड़ली का प्लांट पिछले कई महीनों से बंद पड़ा है। पानीपत थर्मल प्लांट की कई यूनिट सरकार बंद कर चुकी है। झज्जर के झाड़ली स्थिति प्लांट से 750 मेगावाट बिजली हरियाणा ने दिल्ली सरकार को बेच दी। करीब 8 वर्षों के कार्यकाल में खट्टर सरकार ने राज्य में एक भी नया प्लांट नहीं लगाया। जिन कंपनियों के साथ एग्रीमेंट हुआ था, उनसे भी बिजली सरकार नहीं ले पाई।
विपक्ष के नेता ने कहा कि प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। प्रदेश का कोई विभाग ऐसा नहीं है, जिसमें भ्रष्टाचार न हो। पिछले करीब डेढ़ वर्षों से पंचायतों के चुनाव जान-बूझकर टाले गए। इस वजह से गांवों में मोटे स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ। सफाई के ठेके में ही करोड़ों का गोलमाल हुआ। गांवों में सफाई कर्मचारी भी लगे हुए हैं, इसके बाद भी कई गांवों में सफाई का ठेका 70-70 हजार में प्राइवेट कंपनियों को दिया हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार की गलत नीतियों की वजह से ही प्रदेश पर कर्ज का बोझ बढ़कर करीब दो लाख करोड़ पहुंच गया है। कांग्रेस ने जब सत्ता छोड़ी तो प्रदेश पर 60 हजार करोड़ के करीब का कर्जा था। प्रदेश सरकार इस बात का जवाब दे कि इतना कर्ज लेने के बाद भी प्रदेश में न तो कोई नया पावर प्लांट लगा, न यूनिवर्सिटी बनी और न ही स्कूल-कॉलेज खोले गए। सरकार ने तो स्कूलों को ही बंद करने का काम किया है।
निवेश पर जारी हो श्वेत-पत्र : उदयभान
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान ने विदेशी निवेश के लिए सैकड़ों कंपनियों के साथ किए एमओयू पर श्वेत-पत्र जारी करने की मांग की है। उनका कहना है कि 2016 में हैपनिंग हरियाणा कार्यक्रम का आयोजन सरकार ने गुरुग्राम के फाइव स्टार होटल में किया। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने उस समय दावा किया था कि लगभग 6 लाख करोड़ रुपये के निवेश के 407 से अधिक एमओयू साइन हुए हैं। दो लाख युवाओं को रोजगार भी इससे मिलना था। सरकार श्वेत-पत्र जारी करके बताए कि अभी तक कितने का निवेश हुआ, कितने एमओयू सिरे चढ़े और कुल कितने युवाओं को रोजगार मिला है।