भिवानी, 1 मार्च (हप्र)
सत्संग आत्मिक अनुशासन के साथ साथ नियमों में बंधना सिखाता है। इंसान भी वही है जो नियमों को मानता है क्योंकि नियमों को असुर प्रवृति के लोग ही भंग करते हैं। सेवादार सत्संग की सही तस्वीर प्रस्तुत करते हैं क्योंकि सेवा मनमुखता को हटा कर गुरुमुखता की ओर ही बढ़ती है। यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने गुरु अवतरण दिवस पर होने वाले सत्संग की तैयारियों हेतु जुटे सेवादारों से कहे। उल्लेखनीय है कि हुजूर कंवर साहेब जी महाराज का 75वां जन्मदिवस है और उसी अवसर पर सत्संग आयोजन हेतु सेवादार एकत्रित हुए थे। गुरु महाराज ने फरमाया कि गुरु सदैव शिष्य की भलाई की ही बात करता है लेकिन शिष्य कई बार गुरु की बात को अपने स्वार्थ के अनुसार ढालता है। उन्होंने आज के दिन को महान दिन बताते हुए कहा कि आज राधास्वामी मत को सत साहित्य द्वारा फैलाने वाले और राधास्वामी मत के तीसरे गुरु महर्षि शिववृत लाल जी का जन्मदिन का विशेष दिन है और साथ ही साथ महाशिवरात्रि का पर्व भी है। उन्होंने कहा कि गुरु महाराज जी ने कहा कि मेहनत के बिना कुछ हासिल नहीं हो सकता।