झज्जर, 7 दिसंबर (हप्र)
किसान आंदोलन को समर्थन देने और कृषि संबंधी तीन कानून को निरस्त करने की मांग को लेकर गुलिया खाप की ओर से आंदोलन शुरू कर दिया गया है। खाप ने दिल्ली के संसद भवन की ओर कूच करने का प्रयास किया लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें ढांसा बार्डर पर बेरिकेड्स लगाकर रोक दिया। पुलिस की ओर से दिल्ली में प्रवेश नहीं करने पर गुलिया खाप के किसान सड़क पर ही बैठ गए हैं। इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच हल्की झड़प भी हुई। दिल्ली पुलिस ने अर्धसैनिक बलों का सहारा लेते हुए किसानों को दिल्ली में प्रवेश नहीं दिया। हालांकि किसानों ने ओर से प्रतिनिधिमंडल दिल्ली पुलिस प्रशासन से शांतिपूर्वक बातचीत करने के लिए बनाया गया। प्रतिनिधिमंडल की दिल्ली प्रवेश की बात पुलिस ने नकार दी और सुरक्षा का हवाला देते हुए उन्हें रोक दिया गया।
गुलिया खाप को समर्थन देने के लिए कादयान और धनखड़ खाप के किसान भी पहुंचे। गुलिया खाप के प्रधान विनोद बादली के नेतृत्व में किसान और खाप प्रतिनिधि सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए बादली के बाजार से पैदल गुजरे। किसानों को समर्थन देने के लिए विधायक कुलदीप वत्स और पूर्व विधायक नरेश प्रधान भी पहुंचे। इस अवसर पर जिला पार्षद मामन ठेकेदार, चेतानंद बाढ़सा, सरजीत गुलिया, मनराज लाडपुर, विजयपाल, प्रीतम कुकड़ौला, अमित दलाल छारा, जयसिंह अहलावत, जितेन्द्र बबला, युद्धवीर धनखड़ सहित सैकड़ों की संख्या में किसान मौजूद रहे।
‘राजनीतिक भाषण स्वीकार्य नहीं’
सड़क पर बैठे किसानों ने कहा कि राजनीतिक लोगों के लिए मंच पर स्थान तो है लेकिन उन्हें बोलने का अधिकार नहीं दिया जाएगा। मलिकपुर किसान सभा के सदस्य जयप्रकाश बेनीवाल ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सत्ता पक्ष से कोई भी राजनीतिक अपने पद से इस्तीफा देने के बाद बोलने का अधिकार रखता है। किसी भी व्यक्ति का राजनीतिक भाषण स्वीकार्य नहीं होगा।
दो पूर्व मंत्री हुड्डा और बतरा पहुंचे टीकरी बार्डर
हरियाणा के पूर्व गृह राज्य मंत्री सुभाष बतरा और पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा सोमवार को किसानों के धरने व आंदोलन का समर्थन करने के लिए यहां झज्जर की दिल्ली सीमा पर स्थित टीकरी बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए सीएम मनोहर लाल खट्टर व डिप्टी सीएम दुष्यन्त चौटाला पर निशाना साधा। इनका कहना था कि जिस तरह से किसानों के इस आंदोलन में उक्त नेताओं ने अपनी कुर्सी को प्राथमिकता दी है उससे साफ झलकता है कि जनहित व किसान और कमेरी व गरीब हितों से सत्ता में बैठे इन लोगों का कोई लेना-देना नहीं है।