बाबैन,1 जून (निस)
आजकल मनरेगा योजना के तहत सरस्वती नदी में सफाई का कार्य चल रहा है। बाबैन के निकट बाबैन व बरगट शाहपुर के बीच बहने वाली इस नदी में करीब एक किलोमीटर में खड़े घास फूस व अन्य कबाड़ को कटाई व सफाई न कर उसे आग से जलाकर खानापूर्ति की जा रही है। घास व पेड़-पौधों में आग लगाकर सफाई करने से सैकड़ों पशु-पक्षियों व वन्य जीवों को भी अपनी जान से हाथ धोने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। मनरेगा अभियान के तहत काम कर रहे मजदूर सरस्वती नदी में खड़े घास-फूस को पहले आग लगाते हैं, उसके बाद घास की राख को कस्सी से हटा देते हैं। सरस्वती नदी के किनारे खड़े पुराने नीम के हरे
वृक्ष को काट दिया गया। सरस्वती में सफाई के नाम पर हो रहे इस गोलमाल की सरस्वती नदी के साथ लगती जमीन के मालिकों ने उच्चाधिकारियों से जांच की मांग की है।
हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुम्मन सिंह किरमच ने सरस्वती नदी की सफाई के उद्देश्य से तीन दिन पूर्व ही मनरेगा के तहत सफाई व खुदाई अभियान की शुरुआत की थी। क्षेत्र के लोगों ने प्रशासन के उच्चाधिकारियों से मामले पर स्वयं संज्ञान लेने की मांग की है। सतनाम सिंह, जय गणेश, मोहित सैनी व बलकार सिंह का कहना है कि नदी की सफाई के नाम पर केवल नदी में खड़े घास को आग लगा खाना पूर्ति की जा रही है जिससे अनेक वन्य जीव-जन्तु मर रहे हैं।
क्या कहते हैं बीडीपीओ
इस संबंध में जब बाबैन के बीडीपीओ आशुतोष नेे बताया कि सरस्वती नदी की सफाई का कार्य मनरेगा योजना के तहत करवाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आज ही उनके संज्ञान में आया है कि सरस्वती नदी की सफाई के कार्य में लगे मजदूर नदी में खड़े घास-फूस में आग लगाकर सफाई कर रहे हैं। उन मजदूरों से कार्य करवाने वाले मेट को नोटिस जारी कर दिया गया है और मामले की जांच की जा रही है।