प्रदीप साहू/निस
चरखी दादरी, 22 जून
गांव कादमा निवासी 105 वर्षीय रामबाई ने साबित कर दिखाया है कि इंसान में अगर जज्बा और हौसला हो तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है, चाहे उम्र कुछ भी हो। रामबाई की फिटनेस देख लोगों का भी पसीना छूट जाता है।
पिछले दिनों बड़ोदरा में हुई राष्ट्रीय ओपन मास्टर्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 100 मीटर रेस 45.40 सेकेंड में पूरी कर रामकौर का रिकार्ड तोड़ दिया और नया रिकार्ड बनाया है। सीएम मनोहर लाल ने रामबाई की जीत पर बधाई दी है। रामबाई ने पिछले वर्ष भी राष्ट्रीय स्तर की एथलेटिक्स प्रतियोगिता में अपनी तीन पीढ़ियों के साथ स्वर्ण पदक जीतकर रिकार्ड बनाया था। वे अपने परिवार में इस उम्र में खेलने वाली इकलौती नहीं है, बल्कि उसके परिवार के अन्य सदस्य भी स्वर्ण पदक जीत चुके हैं।
हररोज आधा किलो दही खाती हैं
रामबाई गांव की सबसे बुजुर्ग महिला है और उड़नपरी पड़दादी के नाम से मशहूर हैं। वह आमतौर पर खेत में और घर में भी काम करते दिखाई देती हैं। इस उम्र में भी वह सेहतमंद हैं और रोजाना 5 से 6 किलोमीटर तक दौड़ती हैं। रामबाई ने कच्चे रास्तों पर खेल की प्रेक्टिस की और खेतों का भी कार्य करती हैं। रामबाई सुबह 4 बजे उठकर अपने दिन की शुरुआत करती हैं, वह लगातार दौड़ और पैदल चलने का अभ्यास भी करती हैं। रामबाई का कहना है कि शरीर में जान ऐसे ही नहीं आती। वह चूरमा, दही खाती हैं और दूध भी खूब पीती हैं। उन्होंने बताया कि वे हररोज 250 ग्राम घी, रोटी या चूरमे के रूप में लेती है और रोजाना आधा किलो से ज्यादा दही खाती हैं।