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गौशालाओं के निर्माण में आगे नहीं आ रही ग्राम पंचायतें

महज 6 पंचायती गौशालाएं, अंबाला व गुरुग्राम में 2-2 तो रेवाड़ी व दादरी में 1-1 गौशाला

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दिनेश भारद्वाज

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस

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चंडीगढ़, 31 मार्च

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हरियाणा के शहरों, कस्बों एवं गांवों में 64 हजार से अधिक गौवंश ऐसा है, जो बेसहारा है और सड़कों पर घूम रहा है। राज्य की नायब सरकार ने प्रदेश को गौवंश मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। बेसहारा गौवंश के लिए पंचकूला, हिसार व पानीपत में गौ-अभ्यारण्य स्थापित किए हैं। अब राज्य के सभी जिलों में दो-दो गौ-अभ्यारण्य बनाने का फैसला लिया है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रदेश की ग्राम पंचायतें गौशालाओं के निर्माण में आगे नहीं आ रही हैं।

हरियाणा में केवल 6 ही ऐसी गौशालाएं हैं, जिनका संचालन ग्राम पंचायतों द्वारा किया जा रहा है। अंबाला व गुरुग्राम में 2-2 तथा चरखी दादरी और रेवाड़ी में 1-1 पंचायती गौशाला है। अहम बात यह है कि पंचायती गौशालाओं का संचालन करने पर सरकार की ओर से ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहित भी किया जाता है। इसके बाद भी ग्राम पंचायतें इसमें रुचि नहीं ले रही हैं। प्रदेशभर में मात्र 12 गौशालाएं राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं।

सरकार की ओर से सोनीपत में 3, सिरसा व गुरुग्राम में 2-2 तथा भिवानी, हिसार, करनाल, महेंद्रगढ़ व रोहतक में 1-1 गौशाला का संचालन किया जा रहा है। सरकारी गौशालाओं में कुल 9 हजार 810 गौवंश हैं। प्रदेश में पंजीकृत 683 गौशालाओं में 4 लाख 50 हजार गौवंश हैं। राज्य में अधिकांश गौशालाओं का संचालन सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं द्वारा किया जा रहा है। बेशक, सरकार की ओर से इन गौशालाओं को आर्थिक मदद भी दी जाती है।

इन गौशालाओं के संचालन के लिए ये संस्थाएं लोगों का सहयोग लेती हैं। पूर्व की हुड्डा सरकार ने भी बेसहारा गौवंश के लिए योजना बनाई थी, लेकिन गौवंश को सड़कों से नहीं हटाया जा सकता। मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में गौसंरक्षण को लेकर बड़ी कवायद की गई। बड़े-बड़े दावे भी किए गए। गौ-सेवा आयोग का गठन भी हुआ लेकिन बेसहारा गाैवंश को आज तक भी सड़कों से नहीं हटाया जा सकता है। अब राज्य की नायब सरकार ने हरियाणा को बेसहारा गौवंश मुक्त प्रदेश बनाने का टारगेट रखा है।

पानीपत के नैन, हिसार के ढंढुर व पंचकूला में बनाए गए गौ-अभ्यारण्य में 6500 बेसहारा गौवंश को आश्रय दिया है। इनमें शैड, पानी व चारे की व्यवस्था के लिए सरकार ने 8 करोड़ रुपये से अधिक जारी किए हैं। सरकार ने बेसहारा गौवंश के पुनर्वास के लिए नई योजना भी शुरू की है। इसके तहत 200 गौशालाओं को शैड बनाने के लिए 10 लाख रुपये प्रति गौशाला के हिसाब से अनुदान भी दिया गया। अभी तक 50 गौशालाओं में शैड बनाए जा चुके हैं।

10 वर्षों में 215 से 683 गौशालाएं

हरियाणा में 2014 तक पंजीकृत गौशलाओं की संख्या 215 थी। इनमें कुल गौवंश 1 लाख 74 हजार था। वहीं अब प्रदेश में पंजीकृत गौशालाओं की संख्या बढ़कर 683 हो गई है और इनमें 4 लाख 50 हजार से अधिक गौवंश को आश्रय दिया जा रहा है। 2014-15 में गौसेवा आयोग का बजट दो करोड़ रुपये था। चालू वित्तीय वर्ष में मनोहर सरकार ने गौसेवा आयोग के बजट को बढ़ाकर 450 करोड़ रुपये किया। पिछले 10 वर्षों में पंजीकृत गौशालाओं को चारे के लिए सरकार ने 336 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है। पिछले वर्ष ही गौशाओं के लिए 216 करोड़ रुपये जारी किए हैं।

कॉट्स

गौसंरक्षण एवं संवर्द्धन के नाम पर भाजपा ने पिछले 10 वर्षों में लोगों को गुमराह ही किया है। बेसहारा गौवंश सड़कों पर है। आए दिन गौवंश की वजह से सड़क हादसे हो रहे हैं। कई लोगों की जान जा चुकी है। सरकार की ओर से गौशालाओं को समय पर अनुदान नहीं दिया जाता। प्रति पशु चारे के लिए दी जाने वाली राशि में बढ़ोतरी होनी चाहिए।

-भारत भूषण बतरा, रोहतक विधायक

कॉट्स

हम हरियाणा को बेसहारा गौवंश मुक्त बनाएंगे। सभी जिलों में गौ-अभ्यारण्य बनाए जाएंगे। गौशालाओं में 350 शैड निर्माण के लिए 30 करोड़ रुपये की अनुदान राशि दी है। पिछले माह ही गौशालाओं को चारा अनुदान के लिए 216 करोड़ रुपये से अधिक स्वीकृत किए हैं। गौसेवा आयोग के बजट को बढ़ाकर 450 करोड़ रुपये किया जा चुका है।

-नायब सिंह सैनी, मुख्यमंत्री

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