चंडीगढ़, 23 जून (ट्रिन्यू)
प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों (यूनिवर्सिटी) के फंड में की गई कटौती के निर्णय को सरकार ने वापस ले लिया है। अब सभी विश्वविद्यालयों को सरकार की ओर से पहले की तरह ग्रांट जारी होगी। विश्वविद्यालयों को अपने स्तर पर संसाधन जुटाने के आदेश उच्चतर शिक्षा विभाग ने दिए थे। इसके तहत उनके फंड रोके गए थे। इस वजह से कई विवि में फीस में बढ़ोतरी भी की गई। विपक्ष व यूनिवर्सिटी स्टॉफ के विरोध के बाद सरकार ने अपना निर्णय वापस ले लिया है।
उच्चतर शिक्षा विभाग ने अब नये सिरे से आदेश जारी करते हुए 29 मई को जारी आदेशों को वापस लिया है। इस बाबत सभी यूनिवर्सिटी के कुलपतियों को लिखित में पत्र भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि फंड में कोई कटौती नहीं होगी। साथ ही, उन्हें आगामी पांच वर्षों का रोडमैप बनाने को कहा है ताकि सरकारी फंड पर निर्भर रहने की बजाय वे आत्मनिर्भर बन सकें। यहां बता दें कि राज्य में कुल 42 विश्वविद्यालय हैं। इनमें 14 सरकारी हैं। इन सभी विश्वविद्यालयों को सरकारी फंड पर निर्भरता कम कर खुद फंड जुटाने के लिए कहा था। विश्वविद्यालयों को आत्मनिर्भर बनाने और फंड जुटाने के लिए सफल पूर्व छात्रों, सीएसआर, पब्लिक पार्टनरशिप परियोजनाएं, अनुसंधान अनुदान, पेटेंट, विश्वविद्यालय की अनुपयोगी भूमि के व्यावसायिक उपयोग सहित आनलाइन और दूरस्थ शिक्षा के जरिये धन जुटाने की सलाह दी गई थी। इसी तरह से खर्चों में कटौती कर फंडिंग बढ़ाने पर फोकस करने के लिए उन्हें कहा गया था। इसके बाद से ही हरियाणा फेडरेशन आफ यूनिवर्सिटीज एंड कालेज टीचर्स आर्गेनाइजेशन सहित विभिन्न संगठन ग्रांट में कटौती का आरोप लगाते हुए धरने-प्रदर्शन कर रहे थे।
उच्चतर शिक्षा विभाग के फैसले पर जमकर राजनीति भी होने लगी थी। पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला, इनेलो प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ उपप्रधान अनुराग ढांडा सहित कई नेताओं ने इस मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी की हुई थी। यह मामला काफी तूल पकड़ रहा था। विद्यार्थियों द्वारा भी इसका विरोध किया जा रहा था।