हिसार, 27 मार्च (हप्र)
सरकार द्वारा बनाई गई अनाज मंडियों में 40 हजार से ज्यादा आढ़ती लाइसेंस लेकर व्यापार कर रहे हैं जिनके पास आय का एकमात्र साधन अनाज खरीद के माध्यम से मिलने वाला कमीशन है। पहले सरकार ने निर्धारित 2.5 प्रतिशत कमीशन कम कर दिया और अब सरसों की खरीद आढ़तियों के माध्यम से न करवाने का फैसला लिया है। इसका सीधा-सीधा मतलब है कि सरकार आढ़तियों का व्यापार खत्म कर सरकारी मंडियां बंद करने पर तुली हुई है जो सरासर गलत है।
हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष व हरियाणा कान्फेड के पूर्व चेयरमैन बजरंग गर्ग ने अनाज मंडी में व्यापारियों के साथ बैठक करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि यह सरकार पूरी तरह से आढ़ती, किसान व मजदूर विरोधी सरकार है। उन्होंने कहा कि हरियाणा की मंडियों में लगभग 40 हजार आढ़तियों के साथ हजारों व्यापारी गांवों से अनाज भर्ती का काम करते हैं। मंडी के माध्यम से लाखों मजदूर, मुनीम, ट्रांसपोर्टरों व व्यापारियों को रोजगार मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा सरसों की सरकारी खरीद आढ़तियों के माध्यम से नहीं करने से आढ़तियों में सरकार के प्रति बड़ी भारी नाराजगी है। अगर सरकार अनाज की खरीद मंडी के आढ़तियों के माध्यम से नहीं करेगी तो आढ़ती मंडी में दुकान कर क्या करेगा, यह चिंता का विषय है। सरकार को सरसों की सरकारी खरीद आढ़तियों के माध्यम से कर उनको 2.5 प्रतिशत पूरा कमीशन देना चाहिए। गेहूं पर आढ़तियों का जो 55 रुपए 87 पैसे कमीशन बनता है, उसमें कटौती कर 45 रुपए 88 पैसे कर 9 रुपए 99 पैसे व धान पर 55 रुपए 07 पैसे कमीशन की जगह 45 रुपए 88 पैसे देकर 9 रूपए 19 पैसे कम देना सरासर गलत है।
इस अवसर पर अनाज मंडी एसोसिएशन जिला प्रधान पवन गर्ग, पूर्व प्रधान संजय गोयल, खल चूरी एसोसिएशन प्रधान त्रिलोक कंसल, मंडी मंदिर प्रधान अशोक गुप्ता, मंडी एसोसिएशन से बजरंग असरावां, पवन बंसल, संजय नागपाल, कृष्ण गोयल आदि मौजूद थे।