अम्बाला शहर, 9 दिसंबर (हप्र)
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने मांग की है कि शिक्षा नीति को रद्द कर देशभर में सरकारी खजाने से वेतन, मानदेय, पेंशन इत्यादि प्राप्त करने वाले हर अधिकारी, कर्मचारी व जनप्रतिनिधि के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने की अनिवार्यता का कानून बनाया जाए। साथ ही प्रदेश शिक्षा बोर्ड को कमजोर करने की बजाय सुदृढ़ किया जाए।
यह मांग जिला कमेटी द्वारा हल्ला बोल प्रदर्शन के प्रचार के दौरान की गई। संघ के नेताओं ने कल्पना चावला पॉलीटेक्निक, कल्पना चावला आईटीआई, ब्वॉय आईटीआई, ब्वाय पॉलीटेक्निक का दौरा किया और कर्मचारियों को हल्ला बोल के लिए प्रेरित किया। टीम में जिला सचिव महावीर पाई के साथ पब्लिक हेल्थ विभाग के शहर ब्रांच के प्रधान संदीप मेहता, जिला कैशियर गुरचरण सिंह भी शामिल रहे। जिला सचिव महावीर पाई ने बताया कि वर्तमान में हरियाणा प्रदेश की जनसंख्या लगभग तीन करोड़ है जिसके अनुपात में जन सुविधाओं को लागू करने के लिए 12 लाख कर्मचारियों की जरूरत है लेकिन वर्तमान में केवल 4 लाख के करीब कर्मचारी ही काम कर रहे हैं, लगभग 8 लाख पद खली पड़े हैं जिन्हें भरने की बजाय सरकार विभागों का निजीकरण कर अपने चहेते पूंजीपतियों और ठेकेदारों को सौंप रही है। टीम ने मांग की कि सरकारी विभागों के निजीकरण पर रोक लगाई जाए और जनसंख्या के अनुपात में नए पद स्वीकृत कर भर्ती से बेरोजगारों को रोजगार देकर जनता को बेहतर जन सुविधाएं प्रदान की जाएं। नियमित भर्ती में सामाजिक-आर्थिक पैमाने की पात्रता के लिए आमदनी की सीमा तय की जाए। यह भी मांग की गई कि चार लेबर कोड, संपत्ति क्षतिपूर्ति अधिनियम, राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन नीति, बिजली संशोधन बिल व रोड ट्रांसपोर्ट एंड सेफ्टी बिल को रद्द किया जाए।