चंडीगढ़, 18 मई (ट्रिन्यू)
भारतीय उद्योग व्यापार मंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बताया है कि 13 मई तक व्यापारियों द्वारा विदेश से आर्डर लेकर जो गेहूं कांडला और मुम्बई बंदरगाह भेज दिया था, उसे निर्यात करने के लिए एक माह का समय दिया जाए। साथ ही, उस अनाज को गेहूं निर्यात रोक के दायरे से बाहर रखा जाए। पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया गया है कि ऐसा न होने की स्थिति में व्यापारियों के साथ-साथ अन्नदाता को भी भारी नुकसान होगा और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर तय सौदा समय पर पूरा नहीं होने से छवि प्रभावित हो सकती है।
राष्ट्रीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजीव जैन ने कहा कि गेहूं के नियमित निर्यात के तहत ही व्यापारियों द्वारा पूर्व की भांति विदेशों से गेहूं निर्यात के सौदे किए गए थे। इस कड़ी में व्यापारियों ने सीधा अन्नदाताओं से संपर्क करते हुए उनसे सरकारी भाव सर अधिक दाम चुकाते हुए अनाज की खरीद की थी। 13 मई को ही केंद्र सरकार द्वारा गेहूं निर्यात पर तत्काल रोक लगाने के आदेश देने के बाद यह सौदे अधर में लटक गए हैं।
वर्तमान में ही 13 मई तक व्यापारियों द्वारा बड़ी मात्रा में अनाज कांडला व मुम्बई बंदरगाह पर भेजा जा चुका है तथा काफी अनाज रेलवे के माध्यम से इन बंदरगाहों पर पहुंचाने की प्रक्रिया में है। आज देश मे व्यापारियों के हजारों ट्रक अनाज अनलोड होने के लिए इन बंदरगाहों पर खड़ा है। केंद्र सरकार के नये आदेशों के आधार पर निर्यातक अपने सौदे रद्द करके वापस ले रहे हैं। इससे व्यापारी बर्बादी की कगार पर पहुंच रहा है।