प्रदेश में धान की सरकारी खरीद महज कागजों तक सीमित : सुरजेवाला
सुरजेवाला के अनुसार, 10 जिलों की मंडियों में लगभग 1.44 लाख मीट्रिक टन धान पड़ा है और किसान उसे बेच नहीं पा रहा। 6 जिलों में अब तक खरीद शुरू ही नहीं हुई, जबकि बाकी जिलों में भी खरीद ऊंट के मुंह में जीरा जैसी है। उन्होंने बताया कि 1509 किस्म का धान खुले बाजार में 2,500-2,900 प्रति क्विंटल बिक रहा है, जबकि उत्पादन लागत कहीं अधिक है।
उन्होंने कहा कि जमीन का ठेका 82 हजार प्रति एकड़ हो चुका है और धान का उत्पादन मूल्य सिर्फ 45,000 प्रति एकड़ हासिल हो रहा है, इससे किसान कंगाल हो रहे हैं। सुरजेवाला का आरोप है कि बाजरे का सरकारी समर्थन मूल्य 2,775 प्रति क्विंटल है, मगर नायब सरकार ने आदेश दिया है कि मंडियों में 2,150 से अधिक न खरीदा जाए। चरखी दादरी में अकेले 70,000 क्विंटल बाजरा मंडियों में पड़ा है।
मंडियों में जागरण, सरकार जश्न में
सुरजेवाला ने कहा कि नवरात्र में किसान घर-परिवार छोड़ मंडियों में दिन-रात फसल की रखवाली कर रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की लूट का उत्सव मनाने मॉल में कैमरे लगाकर घूम रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पराली जलाने पर ड्रोन से निगरानी और मुकदमे दर्ज करने वाली सरकार को मंडियों में खड़े किसानों का दर्द नहीं दिख रहा। सुरजेवाला ने मांग की कि मुख्यमंत्री तुरंत युद्धस्तर पर खरीद शुरू करे और किसानों को उचित दाम दे। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हालात नहीं सुधरे तो किसानों के नुकसान की जिम्मेदारी भाजपा सरकार की होगी।