चंडीगढ़, 9 सितंबर ( ट्रिन्यू)
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा सरकार किसानों को बर्बाद करने पर आमादा है। हाल ही में रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में की गई बढ़ोतरी किसानों के साथ मजाक है। सरकार ने गेहूं, चना और जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में सिर्फ दो से ढाई प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में तो इस वर्ष की गई बढ़ोतरी पिछले 12 वर्षों में सबसे कम है।
बृहस्पतिवार को चंडीगढ़ से जारी बयान में सैलजा ने कहा कि एक ओर तो भाजपा सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात करती है। दूसरी ओर, किसानों के साथ छलावा कर रही है। आंकड़े
बताते हैं कि 2017 से लगातार गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में की जा रही बढ़ोतरी कम होती जा रही है। सरकार ने गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 2017 में, 110, 2018 में 105, 2019 में 85, 2020 में 50 तथा इस साल महज 40 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी की है।
उन्होंने कहा कि गेहूं की एमएसपी में महज 2.03 प्रतिशत की बढ़ोतरी से किसानों को कोई लाभ नहीं होने वाला।
2022 तक किसानों की आय दोगुणा करने की वादा भी जुमला साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि इस वक्त महंगाई की दर 5.9 फीसदी है। महंगाई लगातार बढ़ रही है। मौजूदा कृषि लागत काफी बढ़ चुकी है। गेहूं पर न्यूनतम समर्थन मूल्य महज दो प्रतिशत बढ़ाने से किसानों के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है।
सैलजा ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान गेहूं के मूल्य में हर साल औसतन 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती थी। यूपीए के समय 2007 में गेहूं के एमएसपी में 250 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया था। इसी तरह से 2006 से 2013 तक धान, गेहूं, अरहर, चना, मक्का और मसूल फसलों की एमएसपी में 90 से 205 प्रतिशत तक इजाफा किया गया। मोदी सरकार में इन फसलों की कीमत में 40 से 70 फीसदी ही बढ़ोतरी हुई है।