चंडीगढ़, 17 जुलाई (ट्रिन्यू)
हरियाणा में पहली अगस्त से पानी महंगा होने जा रहा है। वहीं, सरकार के इस फैसले पर लागू होने से पहले ही विपक्ष ने आपत्ति जता दी है। विपक्ष का तर्क है कि जीएसटी की दरें लागू होने से जहां खाद्य वस्तुओं पर महंगाई की मार पड़ेगी वहीं, राज्य सरकार द्वारा पानी को महंगा करके उपभोक्ताओं को दोहरी मार मारी जा रहा है।
प्रदेश सरकार ने वाटर रिसोर्स अथॉरिटी की सिफारिशों को लागू करने का फैसला किया है। इसी के चलते प्रदेश में पहली अगस्त से सभी श्रेणियों की जलापूर्ति के नये दाम लागू होने जा रहे हैं। इससे पहले, सरकार ने वर्ष 2018 में पानी की दरें बढ़ाई थीं। प्रदेश में 30 लाख से अधिक घरेलू उपभोक्ता तथा 16.5 लाख किसान परिवार हैं। नई दरों के अनुसार प्रदेश में 250 से 500 प्रतिशत तक पानी के दामों में वृद्धि की जा रही है।
हरियाणा सरकार के प्रस्ताव के अनुसार पहले घरों में पेयजल के लिए आने वाले एक लाख लीटर पानी का बिल 25 रुपये था, जो अब बढ़कर 125 रुपये होगा। ईंट-भट्ठों, इंडस्ट्री के लिए पहले जहां 1500 रुपये लिए जाते थे। अब उसके 3750 रुपये होंगे। वाटर इंडस्ट्री में जहां 100 क्यूबिक मीटर पानी का बिल एक हजार रुपये आता था। अब यह बिल ढाई हजार रुपये होगा। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एवं राज्य सभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करके कहा कि घर-घर महंगाई, भाजपा-जजपा ने पहुंचाई। सुरजेवाला ने कहा कि केंद्र सरकार ने आटा-दाल-चावल पर जीएसटी तो खट्टर सरकार ने पानी को पांच सौ प्रतिशत तक महंगा कर दिया है। विपक्ष के नेता व पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि प्रदेश की गठबंधन सरकार आम जनता का शोषण करने पर तुली हुई है। हुड्डा ने कहा कि महामारी, मंदी और महंगाई के बोझ तले दबी जनता को राहत देने की बजाय सरकार लगातार उसकी जेब पर डाका डालने में लगी है। सरकार को बढ़े हुए रेट फौरन वापस लेकर और आम आदमी को जरूरत के मुताबिक स्वच्छ जल की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। हुड्डा ने बुजुर्गों और बेसहारा बच्चों को मिलने वाले पेंशन कटौती पर भी आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने कहा कि मार्च 2022 से लेकर अब तक सरकार 5 लाख 14 हजार लोगों की पेंशन काट चुकी है। इसमें 476000 बुजुर्ग और 38000 बेसहारा बच्चे शामिल हैं, जिनको मिलने वाली आर्थिक मदद इस सरकार ने बंद कर दी है। संवेदनहीनता की सारी हदें लांघते हुए बीजेपी-जेजेपी सरकार ने बेसहारों का
सहारा छीनने से भी गुरेज नहीं किया। पूर्व सांसद एवं आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक तंवर ने कहा कि सरकार को इस फैसले की अधिसूचना जारी नहीं करनी चाहिए। यह हरियाणा के लाखों लोगों के साथ धोखा है।