परफॉर्मेंस व एक्स-ग्रेशिया अवॉर्ड पर सरकार की सख्त गाइडलाइन
सरकार के संज्ञान में आया कि विभिन्न राज्य सार्वजनिक उपक्रम कई पुराने वित्तीय वर्षों - कुछ में दो, तीन और उससे भी अधिक वर्षों के परफॉर्मेंस व एक्स-ग्रेशिया अवॉर्ड की स्वीकृति एक साथ भेज रहे थे। इससे न केवल वित्तीय दबाव बढ़ रहा था बल्कि संस्थागत अनुशासन भी गड़बड़ा रहा था। इसी पृष्ठभूमि में सरकार ने नीति को स्पष्ट और कठोर बनाने का फैसला लिया।
नई गाइडलाइन के अनुसार, परफॉर्मेंस/एक्स-ग्रेशिया अवॉर्ड और इसी श्रेणी के अन्य लाभ केवल मौजूदा वित्त वर्ष के ठीक पहले वाले वर्ष के लिए ही स्वीकृत होंगे। इसका अर्थ है कि राज्य के किसी भी सार्वजनिक उपक्रम को केवल एक वर्ष पुराने लाभ का ही दावा करने की अनुमति होगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि पिछले वर्षों के सभी पुराने दावे स्वतः निरस्त माने जाएंगे। ऐसे दावों पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। किसी भी परिस्थिति में बैक-डेटेड क्लेम पास नहीं होंगे।
व्यवस्था में पारदर्शिता की कवायद
सरकार का मानना है कि यह निर्णय सभी उपक्रमों में एकरूपता लाएगा और वित्तीय अनुशासन को सुधारने में मदद करेगा। साथ ही कर्मचारियों को यह स्पष्ट संदेश भी जाएगा कि प्रोत्साहन लाभ समयबद्ध प्रक्रिया में ही उपलब्ध होंगे। नई नीति के लागू होने के बाद अब बोर्ड-निगमों की जिम्मेदारी होगी कि वे समय पर मूल्यांकन पूरा करें और निर्धारित वर्ष के भीतर ही लाभ का दावा भेजें, ताकि कर्मचारियों को अनावश्यक देरी या भ्रम की स्थिति का सामना न करना पड़े।
