Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

परफॉर्मेंस व एक्स-ग्रेशिया अवॉर्ड पर सरकार की सख्त गाइडलाइन

अब सिर्फ एक साल पुराने दावे होंगे मान्य, पुराने पेंडिंग क्लेम पूरी तरह खत्म

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement
हरियाणा सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों में परफॉर्मेंस अवॉर्ड, एक्स-ग्रेशिया और इस तरह के अन्य प्रोत्साहन लाभों पर नया नियम लागू करते हुए साफ कर दिया है कि अब कई-कई वर्षों पुराने दावों पर कोई विचार नहीं होगा। यह निर्णय ऐसे समय आया है जब राज्य के कई बोर्ड, निगम और सहकारी संस्थाएं बीते वर्षों के भुगतान प्रस्ताव सरकार के पास भेज रही थीं।मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, जो वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव का दायित्व भी संभाल रहे हैं, ने राज्य के सभी बोर्डों, निगमों, कंपनियों, सहकारी संस्थाओं और स्वायत्त निकायों के प्रमुखों को इस संबंध में औपचारिक पत्र जारी किया है। यह निर्देश 24 नवंबर, 2011 के पहले से प्रभावी नियमों में संशोधन स्वरूप जारी हुए हैं।

सरकार के संज्ञान में आया कि विभिन्न राज्य सार्वजनिक उपक्रम कई पुराने वित्तीय वर्षों - कुछ में दो, तीन और उससे भी अधिक वर्षों के परफॉर्मेंस व एक्स-ग्रेशिया अवॉर्ड की स्वीकृति एक साथ भेज रहे थे। इससे न केवल वित्तीय दबाव बढ़ रहा था बल्कि संस्थागत अनुशासन भी गड़बड़ा रहा था। इसी पृष्ठभूमि में सरकार ने नीति को स्पष्ट और कठोर बनाने का फैसला लिया।

Advertisement

नई गाइडलाइन के अनुसार, परफॉर्मेंस/एक्स-ग्रेशिया अवॉर्ड और इसी श्रेणी के अन्य लाभ केवल मौजूदा वित्त वर्ष के ठीक पहले वाले वर्ष के लिए ही स्वीकृत होंगे। इसका अर्थ है कि राज्य के किसी भी सार्वजनिक उपक्रम को केवल एक वर्ष पुराने लाभ का ही दावा करने की अनुमति होगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि पिछले वर्षों के सभी पुराने दावे स्वतः निरस्त माने जाएंगे। ऐसे दावों पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। किसी भी परिस्थिति में बैक-डेटेड क्लेम पास नहीं होंगे।

Advertisement

व्यवस्था में पारदर्शिता की कवायद

सरकार का मानना है कि यह निर्णय सभी उपक्रमों में एकरूपता लाएगा और वित्तीय अनुशासन को सुधारने में मदद करेगा। साथ ही कर्मचारियों को यह स्पष्ट संदेश भी जाएगा कि प्रोत्साहन लाभ समयबद्ध प्रक्रिया में ही उपलब्ध होंगे। नई नीति के लागू होने के बाद अब बोर्ड-निगमों की जिम्मेदारी होगी कि वे समय पर मूल्यांकन पूरा करें और निर्धारित वर्ष के भीतर ही लाभ का दावा भेजें, ताकि कर्मचारियों को अनावश्यक देरी या भ्रम की स्थिति का सामना न करना पड़े।

Advertisement
×