गुरुग्राम, 19 मई (हप्र)
चीफ इंजीनियर व पार्षदों का विवाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के समक्ष पहुंच गया। पार्षदों ने एक सुर में चीफ इंजीनियर के खिलाफ मुख्यमंत्री से शिकायत की तथा उन्हें विकास कार्यों में बाधा अटकाने वाला अधिकारी बताया। सीएम ने बाद में चीफ इंजीनियर का पक्ष भी सुना। फिलहाल दोनों पक्षों को मिलकर काम करने की सलाह देते हुए, जल्द विवाद पर ‘उचित’ फैसला लेने का आश्वासन भी दिया।
सीएम मनोहर लाल खट्टर बृहस्पतिवार की सुबह मेयर मधु आजाद के घर पहुंचे थे। यहां उन्होंने पार्षदों से भेंट की। इस दौरान पार्षदों ने चीफ इंजीनियर के साथ हुए विवाद की सीएम को विस्तार से जानकारी। पार्षदों ने आरोप लगाया कि चीफ इंजीनियर का रवैया विकास कार्यों को लेकर बेहद नकारात्मक है, वह किसी विकास कार्य को करवाने की हां तो कर देते हैं लेकिन फाइल पर इतने अधिक आॅब्जेक्शन लगा देते हैं कि काम धरातल पर होने में इंतजार की अवधि अधिक हो जाता है। यहां तक कि पार्षदों को एक ही विषय बार-बार उठाना पड़ता है जिस पर वे खुद मौका मुआयना करने के बाद भी एक ही बार में सभी आॅब्जेक्शन दूर नहीं करते। महीनों फाइल इंजीनियरिंग विंग में लटकाए रखते हैं।
पार्षद ब्रहम यादव ने सीएम के समक्ष चीफ इंजीनियर पर भ्रष्टाचार संबंधी आरोप भी लगाए। उन्होंने प्रस्तावित निगम कार्यालय निर्माण के टेंडर में भी गड़बड़ी किए जाने का भी आरोप लगाया। पार्षदों ने चीफ इंजीनियर के खिलाफ एक ज्ञापन भी सीएम को दिया। इस बीच वार्ड 23 के पार्षद अश्विनी शर्मा चीफ इंजीनियर के पक्ष में खड़े दिखाई दिए। सीएम ने पार्षदों का पक्ष पूरी तन्मयता के साथ सुना।
बाद में पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में चीफ इंजीनियर ने भी सीएम के समक्ष अपनी बात कही। सीएम ने दोनों पक्षों से कहा कि सभी को जनहित कार्य करने के लिए लगाया गया है। यदि एक पक्ष जनहित संबंधी कम ध्यान देगा या नहीं देगा तो इससे विकास प्रभावित होगा। इसलिए दोनों पक्षों को समान रूप से आगे बढ़कर कार्य करना चाहिए। हालांकि सीएम ने पूरे मामले की विस्तार से जांच करवाने के बाद ‘उचित’ कार्रवाई करने की भी बात कही।
फिर हाथ लगी निराशा
चीफ इंजीनियर के साथ विवाद में यह दूसरी बार है जब पार्षदों के हाथ निराशा लगी है। कुछ महीने पहले भी पार्षदों और चीफ इंजीनियर के बीच जमकर कहासुनी हुई थी और बाद में इंजीनियरिंग विंग के अधिकारी इस मामले को हड़ताल पर भी चले गए थे। तब भी तत्कालीन यूएलबी मंत्री अनिल विज के आश्वासन के बावजूद चीफ इंजीनियर के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हुआ। ताजा मामले में भी सीएम ने चीफ इंजीनियर के खिलाफ तत्काल कोई फैसला करने से इंकार कर दिया।