श्री कृष्ण कृपा गौशाला में मनायी गोपाष्टमी
महामंडलेश्वर, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के पावन सान्निध्य में श्री कृष्ण कृपा गौशाला में गोपाष्टमी का पावन पर्व अत्यंत भव्यता और श्रद्धा से मनाया गया। प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में आरंभ हुई प्रभातफेरी श्री कृष्ण कृपा मंदिर से निकल कर...
महामंडलेश्वर, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के पावन सान्निध्य में श्री कृष्ण कृपा गौशाला में गोपाष्टमी का पावन पर्व अत्यंत भव्यता और श्रद्धा से मनाया गया। प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में आरंभ हुई प्रभातफेरी श्री कृष्ण कृपा मंदिर से निकल कर नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई गौशाला पहुंची। गौशाला पहुंचकर गौभक्तों ने गौमाता का पूजन किया, गुड़ और ग्रास का भोग अर्पित किया, तथा प्रेमपूर्वक आरती उतारी।
इस अवसर पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कार्तिक मास की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा—शरद पूर्णिमा से प्रारंभ हो कर कार्तिक पूर्णिमा तक अनेक दिव्य त्योहारों को अपने अंदर समेटे हुए इस मास में सुहाग का प्रतीक करवाचौथ, मां और बेटे के स्नेह का प्रतीक अहोई अष्टमी, गुरुनानक देव का प्राकट्य उत्सव, हनुमान जी का प्राकट्य, धन तेरस, अंधेरे से उजाले का प्रतीक दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, विश्कर्मा दिवस, छठ पूजा, गोपाष्टमी, तुलसी विवाह जैसी सनातन परम्पराएं इसी कार्तिक मास में हमें जड़ता से चैतन्य की अनुभूति करवाकर हमारे अंदर नव चेतना व नवउत्साह का सृजन करती हैं। गोपाष्टमी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोचारण लीला का आरंभ किया था। उसी दिव्य क्षण की स्मृति में यह तिथि 'गोपाष्टमी' के रूप में हमारी आस्था का केंद्र बनी। गोमाता केवल हमारी संस्कृति की प्रतीक नहीं, बल्कि समस्त देवताओं का निवास हैं। गोमाता को अर्पित किया गया एक ग्रास समस्त देवों को भोग लगाने के समान पुण्य देता है।

