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आयुर्वेद में डॉक्टर बनने का सुनहरा मौका, ऑनलाइन एडमिशन शेड्यूल जारी

आयुष कोर्सों की नई गाइड लाइन, आरक्षण और बॉन्ड फार्मूला लागू । सीटों का बंटवारा तय, कोर्स छोड़ने पर होगा भारी जुर्माना
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आयुर्वेद और होम्योपैथी में डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए हरियाणा सरकार ने नई राह खोल दी है। शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए दाखिला प्रक्रिया घोषित कर दी गई है। अब प्रदेश और चंडीगढ़ के सभी आयुष संस्थानों में एडमिशन केवल ऑनलाइन काउंसलिंग से होंगे। इसकी जिम्मेदारी कुरुक्षेत्र की श्रीकृष्ण आयुष यूनिवर्सिटी को दी गई है।

एडमिशन शेड्यूल दोनों ही तरह की डिग्री यानी बीएएमएस/बीएचएमएस के अलावा एमडी/एमएस आयुर्वेदा के लिए घोषित किया है। आयुष एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल की ओर से इस संदर्भ में दो अलग-अलग नोटिफिकेशन जारी किए हैं। सरकार का कहना है कि इस नई प्रवेश नीति से प्रक्रिया और पारदर्शी होगी और छात्रों में जिम्मेदारी भी आएगी।

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आरक्षित वर्गों को उनके हिस्से का लाभ मिलेगा, एनआरआई और प्रबंधन कोटे से भी छात्रों के लिए रास्ता खुलेगा। सबसे अहम बात यह है कि कोर्स छोड़ने पर भारी जुर्माने की व्यवस्था से विद्यार्थी मजबूरी या लापरवाही में पढ़ाई बीच में नहीं छोड़ पाएंगे। नई व्यवस्था से हरियाणा और चंडीगढ़ को आयुर्वेदिक डॉक्टरों की नई पीढ़ी तैयार करने में मदद मिलेगी।

केंद्र-राज्य में बंटेंगी सीटें

बीएएमएस और बीएचएमएस कोर्सों में एडमिशन नीट-यूजी 2025 की मेरिट लिस्ट से होंगे। कुल सीटों में से 15 प्रतिशत अखिल भारतीय कोटे में रहेंगी, जिनकी काउंसलिंग केंद्र करेगा। बाकी 85 प्रतिशत सीटों पर राज्य का अधिकार होगा। निजी कॉलेजों में यह 85 सीटें भी दो हिस्सों में बंटेंगी। आधी राज्य कोटे में और आधी प्रबंधन कोटे में। प्रबंधन कोटे में से 15 प्रतिशत सीटें एनआरआई वर्ग को मिलेंगी।

आरक्षण का पूरा फार्मूला

दाखिले में आरक्षण नीति नए सिरे से लागू की गई है। अनुसूचित जाति, वंचित अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, विकलांगजन, भूतपूर्व सैनिक और स्वतंत्रता सेनानी आश्रित - सभी श्रेणियों को कोटा मिलेगा। एससी की 20 प्रतिशत सीटों में से आधी डी-एससी वर्ग को दी जाएंगी। वहीं विकलांगजन के लिए 5% सीटें सुरक्षित होंगी। इनकी मेडिकल जांच सिर्फ पीजीआईएमएस रोहतक का बोर्ड करेगा।

बॉन्ड फॉर्मूला होगा सख्त

सरकार ने साफ कर दिया है कि अब दाखिला लेने के बाद कोर्स बीच में छोड़ना आसान नहीं होगा। बीएएमएस और बीएचएमएस में अगर कोई छात्र अंतिम तिथि से तीन दिन पहले पढ़ाई छोड़ता है तो उसे पूरे कोर्स की ट्यूशन फीस भरनी होगी। स्नातकोत्तर (एमडी/एमएस आयुर्वेद) में तो शर्तें और कड़ी हैं। यहां कोर्स बीच में छोड़ने पर 7.5 लाख का बॉन्ड जब्त होगा। मिला हुआ स्टाइपेंड लौटाना होगा। यही नहीं, अगले तीन साल तक पीजी कोर्स में बैन जैसी सख्त सजा भी भुगतनी होगी।

पीजी में भी आरक्षण और प्राथमिकता

एमडी/एमएस आयुर्वेद में एडमिशन एआईएपीजीईटी-2025 मेरिट से होंगे। यहां भी 15 प्रतिशत सीटें अखिल भारतीय और 85 प्रतिशत राज्य कोटे में रहेंगी। श्रीकृष्ण आयुष यूनिवर्सिटी से पढ़े बीएएमएस ग्रेजुएट्स को 25 प्रतिशत सीटों पर संस्थागत प्राथमिकता दी जाएगी। सरकारी कॉलेजों में 10 प्रतिशत सीटें इन-सर्विस डॉक्टरों (आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर) के लिए रिजर्व रहेंगी। रोहतक का बाबा मस्तनाथ आयुर्वेद कॉलेज अल्पसंख्यक संस्थान है, यहां नाथ संप्रदाय के विद्यार्थियों को प्राथमिकता मिलेगी।

चरणबद्ध होगी काउंसलिंग

दाखिला प्रक्रिया कई चरणों में चलेगी। पहले, दूसरे और तीसरे चरण के बाद भी अगर सीटें खाली रहती हैं तो मॉप-अप राउंड होगा। छात्रों को अपनी पसंद के कॉलेज और कोर्स की लिस्ट ऑनलाइन पोर्टल पर भरनी होगी। दूसरे और तीसरे चरण में अपग्रेडेशन की सुविधा भी मिलेगी।

यह रहेगा फीस स्ट्रक्चर

काउंसलिंग फीस सामान्य वर्ग के लिए 2000 रुपये, आरक्षित वर्ग व पीडब्ल्यूडी के लिए 500 रुपये और एनआरआई वर्ग के लिए 10 हजार रुपये तय हुई है। इसके अलावा दाखिला प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए छात्रों को ‘सुरक्षा राशि’ भी जमा करनी होगी। बीएएमएस और बीएचएमएस में यह 5 हजार से 50 हजार रुपये और एमडी/एमएस में 10 हजार से 50 हजार रुपये तक होगी। यह राशि एडमिशन मिलने पर समायोजित कर दी जाएगी, लेकिन एडमिशन न लेने की स्थिति में जब्त हो जाएगी।

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