हिसार, 19 मई (निस)
गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बायो एंड नेनो टेक्नोलॉजी विभाग के शिक्षक कैंसर के इलाज में अदरक की उपयोगिता तलाशेंगे। केंद्र के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने डब्ल्यूओएस-बी स्कीम के अंतर्गत गुजवि के बायो एंड नेनो टेक्नोलॉजी विभाग को इस विषय पर एक शोध परियोजना दी गई है। परियोजना को तीन साल में पूरा किया जाना है। परियोजना के लिए 32.81 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बलदेव राज काम्बोज ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत विश्वविद्यालय के बायो एंड नेनो टेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विनोद छोक्कर के मार्गदर्शन में डॉ. श्वेता मेहरोत्रा को महिला वैज्ञानिक के रूप में नियुक्त किया गया है। परियोजना का मुख्य उद्देश्य बायो एंड नेनो-तकनीकी दृष्टिकोण के माध्यम से अदरक के चिकित्सीय मूल्यों को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि अदरक का औषधीय उपयोग का 2500 साल पुराना एक लंबा इतिहास है। अदरक में मौजूद कुछ तीखे घटकों में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इनफलेमेटरी गतिविधियां होती हैं और प्रयोगात्मक कैंसरजनन में कैंसर-निवारक गतिविधि प्रदर्शित करती हैं।
कैंडी की होगी मार्किटिंग
परियोजना के संरक्षक प्रो. विनोद छोक्कर ने बताया कि अदरक आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी-बूटी है जिसमें कैंसर रोधी गुणों वाले जिंजरोल, शोगोल, पैराडोल और जिंजरोन जैसे औषधीय रूप से बायोएक्टिव यौगिक होते हैं। लेकिन इसके साथ बड़ी समस्या जिंजरोल और शोगोल की खराब पानी में घुलनशीलता इसलिए ये मेडिकल प्रयोगों को प्रतिबंधित करते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए और अदरक के महत्वपूर्ण कैंसर विरोधी गुणों को ध्यान में रखते हुए, इस शोध परियोजना को जैव-संगत एंटीकैंसर कारक के रूप में अदरक राइज़ोम से अदरक-आधारित नैनोकणों के निर्माण, लक्षण वर्णन और फार्माकोकाइनेटिक्स के लिए डिजाइन किया गया है। विकसित नैनो फॉर्मूलेशन के खाद्य लोजेंज या कैंडी तैयार कर उनकी मार्केटिंग की जाएगी।