कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 11 फरवरी
हिसार के तत्कालीन जिला वन अधिकारी आईएफएस डॉ. सुनील कुमार (अब हिसार के आरटीए सचिव) ने बिना किसी पुलिस सहायता के न सिर्फ हिसार के 15 गांवों में नहर विभाग की करीब 700 एकड़ जमीन पर किसानों से कब्जा छुड़वा लिया बल्कि वहां पर एक लाख पौधे भी लगा दिए। आपदा में अवसर ढूंढ़ने की ही तरह यह काम उन्होंने तब कर दिखाया जब पूरा देश कोविड-19 के कारण घर से बाहर नहीं निकल पा रहा था।
भारतीय वन विभाग के अधिकारी (आईएफएस) सुनील कुमार ने बताया कि अक्तूबर, 2019 में दीपावली के दौरान पटाखों के कारण हिसार का एक्यूआई स्तर दिल्ली से भी खराब स्तर पर चला गया था। ऐसे में उन्होंने इसको सुधारने के लिए अध्ययन शुरू किया तो पता चला कि हिसार डिस्ट्रीब्यूटरी के आसपास के क्षेत्र में पेड़ लगने चाहिए लेकिन ग्रामीणों ने वहां पर कब्जा किया हुआ था। इसके बाद रिकॉर्ड खंगाला तो पता चला कि हरियाणा सरकार के 28 जुलाई, 1978 की एक अधिसूचना नंबर एसओ111/सीए-16/एस-29/78 के तहत हिसार मेजर डिस्ट्रीब्यूटरी के आरडी 0 से आरडी 300 तक के आसपास के क्षेत्र पर मालिकाना हक नहर विभाग का है और इसके प्रबंधन का जिम्मा वन विभाग के पास है।
इस जानकारी के आधार पर डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) से डिमार्केशन की गई और फिर ओगर की मदद से गड्ढ़ों की खुदाई की गई। इसके बाद जून व जुलाई, 2020 में हांसी क्षेत्र में जबकि अगस्त और सितंबर, 2020 में हिसार व आदमपुर क्षेत्र में पौधरोपण किया गया। यहां पर क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) योजना के तहत एक लाख पौधे लगाए जिनमें मुख्य रूप से नीम, जामुन, इमली, आंवला, लसूड़ा, बेलपत्थर, बरगद, पीपल, अर्जुन, शहतूत व आम आदि के पौधे लगाए गए हैं।
जमीन नहर विभाग की, निगम बना ‘ठेकेदार’
हिसार क्षेत्र में आरडी 150 के बाद का क्षेत्र हिसार शहर में बिल्कुल गायब हो चुका है। यह क्षेत्र धोबीघाट पार्किंग, तेलियान पुल, जहाज पुल आदि क्षेत्र है जहां पर नहर का नामोनिशान नहीं है। नहर विभाग को भी पता नहीं है कि यह जमीन उनकी है। यही कारण है कि नहर विभाग की जमीन पर नगर निगम ने पार्किंग तक का ठेका दिया हुआ है।
पौधों की कीमत 745 करोड़ प्रति वर्ष
सुप्रीम कोर्ट के हाल ही के एक फैसले के अनुसार, एक पेड़ का आर्थिक मूल्य 74500 रुपये प्रति वर्ष है, इसमें से अकेले ऑक्सीजन की कीमत 45,000 रुपये है। इस प्रकार हिसार में लगाए गए इन 1 लाख पेड़ों का मौद्रिक मूल्य 745 करोड़ रुपये (7.45 अरब रुपये) होगा।
ये जमीन खाली करवाई
राजथल गांव में 36.35 एकड़
भैणी मीरपुर गांव में 42.20 एकड़
नारनौंद गांव में 58.35 एकड़
माडा गांव में 24.27 एकड़
माजरा गांव में 24.63 एकड़
पाली गांव में 42.81 एकड़
ढाणी ब्राह्मणान में 42.20 एकड़
राजपुरा गांव में 17.14 एकड़
गुज्जरबाड़ा व गगनखेड़ी गांव में 50.12 एकड़, कुल 338 एकड़।
इसी प्रकार खरड़, लालपुर, मोडाखेड़ा, मोहब्बतपुर व मिंगनीखेड़ा गांव में इससे भी ज्यादा जमीन शामिल है।
‘अब हर जिले में खोजी जा रही है जमीन’
वन विभाग के प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर घनश्याम शुक्ला ने बताया कि जब वे हिसार में सीसीएफ थे, तो हिसार के जिला वन अधिकारी के प्रयासों से ऐसा संभव हो सका। यहां पर मिली कामयाबी के बाद अब उन्होंने सभी जिलों के डीएफओ को पत्र लिखकर इस तरह की वन विभाग के प्रबंधन की जमीन का पता लगाने के लिए कहा है। उम्मीद है कि हर जिले में कुछ न कुछ जमीन मिलेगी जिसके बाद हम अपना वन क्षेत्र बढ़ा सकते हैं।