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संस्कृति, शिल्प कला का संगम गीता महोत्सव

विभिन्न राज्यों के शिल्पकार और लोक कलाकार जमा रहे रंग, उमड़ा पर्यटकों का सैलाब
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कुरुक्षेत्र में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में अपनी कला का प्रदर्शन करते कलाकार। -हप्र
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विनोद जिन्दल/हप्र

कुरुक्षेत्र, 10 दिसंबर

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अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का मंच देश की संस्कृति और शिल्पकला का संगम बन गया है। महोत्सव के मंच पर विभिन्न राज्यों की शिल्पकला और लोक संस्कृति से रूबरू हुआ जा सकता है। शिल्पकला और लोककला के संगम से ब्रह्मसरोवर की फिजा महक उठी है। इसकी महक देश के कोने-कोने तक पहुंच चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान 48 कोस के 164 तीर्थों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2023 के शिल्प और सरस मेले के चौथे दिन रविवार को पर्यटकों का सैलाब उमड़ पड़ा। ब्रह्मसरोवर के घाटों पर उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र की तरफ से बेहतरीन कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी जा रही हैं। किसी घाट पर पंजाबी संस्कृति, कहीं पर हरियाणवी और कहीं पर हिमाचल तो कहीं पर राजस्थान की लोक संस्कृति को देखने का अवसर मिल रहा है।

कुरुक्षेत्र में रविवार को सांस्कृतिक कार्यक्रमों को लुत्फ उठाने पहुंची पर्यटकों की भीड़। -हप्र

सरस मेले पर आए कलाकार अपनी शिल्पकला का शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। ये कलाकार देश के विभिन्न राज्यों हिमाचल, राजस्थान, बिहार, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर आदि प्रदेशों से आए हैं। ये कलाकार अपनी शिल्पकला के माध्यम से महोत्सव में चार चांद लगाने का काम कर रहे हैं। कलाकारों अपने-अपने देश की वेशभूषा, पहरावे और रहन-सहन का प्रदर्शन भी महोत्सव में आने वाले पर्यटकों के लिए कर रहे हैं।

750 से ज्यादा लगाये स्टॉल

लोक संस्कृति का आनंद लेने के साथ-साथ लोग ब्रह्मसरोवर के चारों तरफ एनजेडसीसी और डीआरडीए की तरफ से लगे सरस और शिल्प मेले में अनोखी शिल्पकला को भी खूब निहार रहे है। इस वर्ष 750 से ज्यादा स्टॉल लगाए गए है। इसमें राष्ट्रीय, राज्य अवार्डी शिल्पकार भी शामिल है। एनजेडसीसी के अधिकारी भूपेंद्र सिंह का कहना है कि एनजेडसीसी की तरफ से पंजाब का लड्डी, हिमाचल का किल्लू-नाटी, जम्मू कश्मीर का राउफ, उत्तराखंड का छपेली नृत्य से पर्यटकों का मनोरंजन कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव विश्व पटल पर अपनी पहचान बना चुका है।

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