हरेन्द्र रापड़िया (हप्र)
सोनीपत, 21 अप्रैल
प्रदेश का पहला पीएनजी चलित अंतिम संस्कार शवदाह गृह सोनीपत के सेक्टर-15 स्थित शिव मुक्ति धाम में स्थापित किया गया था। शुरूआत में इसका इस्तेमाल न के बराबर था। कोरोना काल में एकाएक मौतों का ग्राफ ऐसा बढ़ा कि अंतिम संस्कार के लिए यहां जगह पाने के लिए वेटिंग व सिफारिशें चलने लगी मगर हालात सामान्य होते ही लोगों ने एक बार फिर से लकडिय़ों के ईंधन को तवज्जो देना शुरू कर दिया। शिव मुक्ति धाम के पदाधिकारियों की माने तो आज इसका इस्तेमाल सिर्फ लावारिस शवों तथा विदेश में दूर बैठे बच्चों द्वारा शहर में अकेेले रह रहे अपने बुर्जुग मां-बाप व रिश्तेदारों की अंत्येष्टि करने तक सिमट कर रह गया है।
शहर के पॉश इलाके सेक्टर-14/15 स्थित शिव मुक्ति धाम में पर्यावरण के मद्देनजर करीब साढ़े 5 साल पहले पीएनजी चलित अंतिम संस्कार शवदाह गृह स्थापित किया गया था। यहां गैस की सप्लाई देने वाली गेल गैस कंपनी शुरूआत में कर्मिशयल दर पर बिल भेजती थी मगर बाद सामाजिक संस्थाओं के दखल के बाद कंपनी ने इसे सामान्य दरों में तबदील कर दिया। इन सब के बावजूद इसका इस्तेमाल न के बराबर हो रहा। मगर कोरोना की दूसरी लहर में तेजी से बढ़े मौत के आंकडे से हालात ही बदल गए। पीएनजी चलित शवदाह गृह का इतना इस्तेमाल हुआ कि इसकी मशीनरी अधिक तापमान के चलते गरमा जाती थी। यहां तक इसमें लगी लोहे की भारी प्लेटें भी लाल सुर्ख हो जाती थी। अगले शव के अंतिम संस्कार के लिए बीच-बीच में इसे करीब आधा घंटा रोक कर ठंडा किया जाता था तब जाकर यह दोबारा से काम करता था। मगर जैसे ही कोरोना लहर गई लोग फिर से अंतिम संस्कार के दौरान लकड़ी के ईंधन के इस्तेमाल पर आ गए।
नि:शुल्क शव वाहन व डैड बॉडी चैंबर की है सुविधा
शिव मुक्ति धाम के कार्यकारी प्रधान भारत भूषण कपूर, उपप्रधान नरेंद्र भुटानी व कोषाध्यक्ष महेंद्र भाटिया बताते हैं कि सेक्टर-14/15 श्मशान घाट के अलावा गोहाना श्मशान घाट, सब्जी मंडी श्मशान घाट व पटेल नगर श्मशान घाट के लिए 5 शव मुक्ति वाहन तथा 10 डैड बॉडी चैंबर नि:शुल्क उपलब्ध हैं। 4 दिन तक शव को सुरक्षित रखने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। यहां से साधनहीन और लावारिस शवों की अस्थियों को हरिद्वार जाकर नि:शुल्क विसर्जन करा जाता है।
श्मशान घाट के शहर के सेक्टरों के बीच होने के कारण शुरूआत में इसकी चिमनी से निकलने वाले धुंए को लेकर लोगों को शिकायतें रहती थी। लोगों की परेशानी और पर्यावरण को बचाने के लिए यहां पर करीब 90 फीट ऊंची चिमनी लगाई गई है।
उपप्रधान नरेंद्र भुटानी बताते हैं कि यह चिमनी नगर निगम, बोध घाट दिल्ली में लगी करीब 55 फीट से काफी ऊंची है।
मजबूरी में पीएनजी से कराते हैं अंतिम संस्कार
शिव मुक्ति धाम के उपप्रधान नरेंद्र भुटानी बताते हैं कि शहर व आसपास कई आवासीय सोसायटी में रहने वाले अनेक परिवारों के बच्चे कामकाज व नौकरी के सिलसिले में विदेशों में रह रहे हैं जबकि उनके बुर्जुग माता-पिता या रिश्तेदार यहां अकेले रह रहे हैं। ऐसे में अगर किसी बुर्जुग की मौत हो जाती है कि तो उनके बच्चे फोन पर ही संपर्क कर पीएनजी चलित शवदाह गृह में अंतिम संस्कार करा देते हैं। इसके अलावा लावारिसों के अंतिम संस्कार में इसका इस्तेमाल किया जाता है।