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आज से गरीबाें का निजी अस्पतालों में नहीं होगा उपचार

आईएमए और सरकार के बीच विवाद गहराया, एसीएस की बैठक रही बेनतीजा
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बुधवार को आईएमए पदाधिकारियों के साथ वर्चुअली बैठक करते स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी।
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हरियाणा में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) से जुड़े निजी अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत बृहस्पतिवार से गरीबों का मुफ्त इलाज बंद करने का ऐलान कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल और आईएमए प्रतिनिधियों के बीच बुधवार को हुई बैठक विफल रही। एसोसिएशन ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक सरकार बकाया प्रतिपूर्ति राशि का भुगतान नहीं करती, तब तक योजना के लाभार्थियों का उपचार नहीं किया जाएगा।

आईएमए पदाधिकारी डॉ़ महावीर जैन, डॉ़ अजय महाजन और डॉ़ धीरेंद्र सोनी अपने रुख पर अड़े रहे जबकि कुछ वरिष्ठ सदस्यों ने हड़ताल पर पुनर्विचार की सलाह दी। उधर, सरकार ने दावा किया कि मई तक के सभी दावों का भुगतान कर दिया है और अब तक कुल 2900 करोड़ रुपये निजी अस्पतालों को दिए जा चुके हैं। हाल ही में 240 करोड़ रुपये और जारी किए गए हैं। दावों की जांच पारदर्शी प्रक्रिया से होती है। सभी अस्पतालों को जरूरी दस्तावेज देने व अपील करने का मौका मिलता है। 400 से अधिक शिकायतें निपटाई जा चुकी हैं।

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केंद्र की आयुष्मान भारत योजना के लिए गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये सालाना तक मुफ्त उपचार की सुविधा दी गई है। इसके तहत हरियाणा सरकार ने प्रदेशभर में 600 के लगभग प्राइवेट अस्पतालों को अपने पैनल पर लिया हुआ है। लाभार्थियों के उपचार के बाद अस्पतालों द्वारा विभाग के पास क्लेम के लिए आवेदन किया जाता है। आईएमए का कहना है कि कभी भी समय पर पेमेंट नहीं होती। एसोसिएशन ने इस बात पर भी नाराजगी जताई है कि बिलों में गलत तरीके से कटौती होती है।

हरियाणा में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बृहस्पतिवार से गरीबों को प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के तहत मुफ्त उपचार की सुविधा नहीं देने की चेतावनी दी हुई है। इसी के चलते बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने आईएमए पदाधिकारियों के साथ वुर्चअल बैठक की।

निर्णय पर पुनर्विचार का अनुरोध

सुधीर राजपाल ने भी हड़ताल के निर्णय पर पुनर्विचार का अनुरोध करते हुए कहा कि इससे उन गरीब मरीजों को नुकसान होगा जो समय पर और सस्ता इलाज प्राप्त करते हैं। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि अनुबंधित अस्पतालों द्वारा प्रस्तुत दावों की प्रक्रिया नेशनल हेल्थ अथारिटी के आनलाइन पोर्टल के माध्यम से 50 डाक्टरों की एक टीम द्वारा की जाती है। यह पोर्टल दावों को रेंडम ढंग से आवंटित कर पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया सुनिश्चित करता है। यदि कोई अस्पताल कटौती से असहमति रखता है तो वह पोर्टल के माध्यम से अपील दर्ज कर सकता है।

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