सोनीपत, 24 जून (हप्र)
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि तिब्बत की आजादी तिब्बतियों का अधिकार है। कैलाश हमारी आस्था का केंद्र है और वहां तक बिना किसी रुकावट के आवागमन भारतीयों का अधिकार है। किसी देश को छोटा व कमजोर समझकर उस पर कोई बड़ा देश अनुचित रूप से कब्जा कर ले, यह भारत की नीति के खिलाफ है। प्रदेशाध्यक्ष धनखड़ शनिवार को बह्मकुमारी रिट्रीट सेंटर, नांगल खुर्द में आयोजित भारत तिब्बत समन्वय संघ सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कहा कि इन दोनों विषयों पर भारत के लोगों की सोच स्पष्ट है।
उन्होंने कहा कि तिब्बत की मुक्ति के संघर्ष में भारत के लोगों की भावना तिब्बतियों के साथ है। इसलिए भारत सरकार ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तिब्बत का पक्ष लिया है। धनखड़ ने कहा कि हमारी सोच लोकतांत्रिक व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की है, जबकि चीन की सोच साम्राज्यवाद की है। कुछ प्रखर बुद्धिजीवी लोग कैलाश और तिब्बत की मुक्ति के आंदोलन को स्वतंत्रता की दूसरी लड़ाई मानते हैं और कहते भी हैं कि इसे हम पूरी ताकत के साथ लड़ेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत तिब्बत समन्वय संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. प्रयाग दत्त जुयाल पूर्व वाइस चांसलर दून विश्वविद्यालय ने की। संघ के संयोजक हेमेंद्र प्रताप सिंह तोमर द्वारा भारत तिब्बत समन्वय संघ की पूर्व गतिविधियों पर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इस मौके पर ईटको को-ऑर्डिनेटर ताशी डेकी एवं प्रतिनिधि मौजूद रहे।
कुछ संगठन वंशवाद को बचाने में एकजुट हो रहे : धनखड़
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि कुछ संगठन वंशवाद को बचाने के लिए एकजुट हो रहे हैं, लेकिन जनता देश को महाशक्ति बनाने की तरफ देख रही है। देश की जनता बिहार के पटना में हुई विपक्ष की महाबैठक की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है। पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि आगामी चुनाव को लेकर भाजपा लगातार काम कर रही है। धनखड़ ने कहा कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी का गठबंधन अच्छा चल रहा है।
चीन की कुटिल चाल का विरोध आवश्यक : जैन
पूर्व मंत्री कविता जैन ने कहा कि भारत तिब्बत समन्वय संघ लोगों में जागरूकता पैदा कर रहा है, समन्वय संघ सचेत कर रहा है कि चीन की कुटिल चाल का विरोध किया जाए, क्योंकि उधर चीन की साम्राज्यवादी नीति पर अंकुश नहीं लगाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब भारत को इसके दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे। जब तक जन आंदोलन खड़ा नहीं होगा तब तक भारत की सीमाएं सुरक्षित नहीं होंगी।