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हरियाणा के फोरेस्ट विभाग में ‘फर्जीवाड़ा’ होगा बंद, अब युवा बनेंगे ‘वन मित्र’

सालाना लगाएंगे पौधे, चार साल तक करेंगे केयर, सरकार देगी आर्थिक मदद/प्राइवेट जमीन पर हुआ पौधरोपण तो चार साल बाद मालिक का पेड़ों पर होगा अधिकार
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 15 फरवरी। हरियाणा में फोरेस्ट कवर बढ़ाने और युवाओं की आर्थिक मदद के लिए मनोहर सरकार न ‘वन मित्र’ नाम से नई योजना की शुरूआत की है। इस योजना के तहत हर साल 7500 युवाओं को ‘वन मित्र’ बनाया जाएगा। वन मित्र बनने वाले युवाओं से पौधरोपण करवाया जाएगा और अगले चार वर्षों तक पौधों की देखरेख का जिम्मा उन्हीं युवाओं के पास होगा। इसके बदले उन्हें एकमुश्त के अलावा अगले चार वर्षों तक आर्थिक मदद भी की जाएगी।

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सरकार ने यह कदम इसलिए उठाना पड़ा क्योंकि वन विभाग द्वारा हर वर्ष पौधरोपण करने के बाद भी राज्य में वन एरिया में बढ़ोतरी नहीं हो रही थी। विभाग में पौधरोपण के नाम पर कई बार बड़े फर्जीवाड़े भी सामने आ चुके हैं। वन विभाग द्वारा लगाए जाने वाले पौधों का सक्सेस रेट भी काफी कम होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए वन मित्र योजना बनाई गई। सीएम मनोहर लाल ने बृहस्पतिवार को चंडीगढ़ में ‘वन मित्र’ पोर्टल लांच किया। इस योजना में केवल वही युवा शामिल हो सकेंगे, जिनके परिवार की सालाना आय 1 लाख 80 हजार रुपये से कम है।

युवा अब योजना में शामिल होने के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे। पहले चरण में 7500 युवाओं का चयन होगा। रजिस्ट्रेशन के दौरान युवाओं को बताना होगा कि वे किस एरिया में पौधरोपण करना चाहते हैं। पौधों का प्रबंध सरकारी नर्सरियों द्वारा किया जाएगा। इतना ही नहीं, सरकार की कोशिश होगी कि युवाओं को कम से कम ढाई से तीन फुट ऊंचाई के पौधे उन्हें मुहैया करवाए जाएं। एक युवा 1000 तक पौधे रोप सकेगा। इसकी सीमा अधिक भी हो सकती है।

वन मित्र द्वारा पौधरोपण से पहले गड्‌ढे खोदे जाएंगे। गड्‌ढे खोदने के बाद प्रति गड्‌ढे के हिसाब से वन मित्र को 20 रुपये दिए जाएंगे। जीपीएस के जरिये सरकार इसकी मॉनिटरिंग करेगी। पौधरोपण होने के बाद 30 रुपये प्रति पौधे के हिसाब से मिलेंगे। इसके बाद पौधे में सिंचाई और इसकी देखरेख का जिम्मा संबंधित वन मित्र का होगा। वन मित्र को पहले साल 10 रुपये, दूसरे साल 8, तीसरे साल 5 और चौथे साल 3 रुपये प्रति पौधे के हिसाब से सरकार की ओर से मदद की जाएगी।

चार साल बाद होंगे हेंडओवर

वन मित्रों ने अगर किसी निजी जमीन पर पौधरोपण किया है तो चार वर्षों के बाद भू-मालिक को सभी पौधे हेंडओवर कर दिए जाएंगे। जमीन अगर किसी संस्था या पंचायत की है तो संबंधित पंचायत और संस्था को चार वर्षों के बाद पौधों को सौंप दिया जाएगा। इसके लिए भूमि मालिक को शपथ-पत्र देना होगा कि हेंडओवर के बाद अगले दस वर्षों तक वह पेड़ों की कटाई नहीं कर सकेंगे। इतना ही नहीं, पहले साल वन मित्र बने युवा, अगर चाहेंगे तो अगले साल भी इस योजना के साथ जुड़े रह सकेंगे।

कृषि से जुड़े पौधों पर लाभ नहीं

इस योजना में सरकार ने स्पष्ट किया है कि हरियाणा के परंपरागत पेड़ों पर ही योजना का लाभ वन मित्रों को दिया जाएगा। सफेदा, पॉपलर और कृषि से जुड़े पौधों पर आर्थिक मदद नहीं दी जाएगी। यानी वन मित्रों को आम, जामुन, शीशम, बरगद, पीपल, नीम, अर्जुन जैसे छायादार और फलदार पौधों पर योजना का लाभ मिलेगा। वन मित्र अगर चार साल से पहले योजना से बाहर होना चाहता है तो उस स्थिति में वन विभाग द्वारा पौधों की देखरेख की जाएगी। हालांकि वन मित्र चाहेंगे तो किसी अन्य को भी ये हेंडओवर कर सकेंगे।

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