हरिकृष्ण आर्य/निस
घरौंडा, 24 अक्तूबर
पूसा डी कंपोजर के चार कैप्सूल न सिर्फ फसल अवशेषों को नष्ट करेंगे, बल्कि नष्ट हुए फाने जमीन में मिलकर खाद का काम भी करेंगे। चार कैप्सूलों से तैयार होने वाला लिक्विड एक एकड़ के फानों को गलाएगा और इसके बाद किसान अपनी जमीन को तैयार कर आगामी फसल की बुआई कर सकता है। डी कंपोजर कैप्सूलों को किसानों में निशुल्क वितरित किया जाएगा। करीब दो हजार एकड़ के फसल अवशेषों के लिए कैप्सूल खंड कृषि कार्यालय में पहुंच चुके हैं, जहां से किसान उन्हें निशुल्क प्राप्त कर सकते हैं। कृषि अधिकारियों की माने तो कृषि अवशेष को खाद में बदलने की पूसा अनुसंधान द्वारा यह नई तकनीक तैयार की गई है, जो अवशेषों को गलाकर खाद में बदलने का काम करेगी। कृषि अधिकारी डॉ. राहुल दहिया ने बताया कि धान के बाद अगली फसल लेने के लिए किसान अपने खेतों में फसल अवशेषों को आग की भेंट चढ़ा देते हैं। इससे न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है बल्कि जमीन की ऊपजाऊ शक्ति भी कमजोर हो जाती है। ऐसे में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने पूसा डी कंपोजर बायो एंजाइम का रास्ता निकाला है, जो धान के अवशेषों को पराली को गला सकता है।
इस तरह करेगा काम
कृषि अधिकारियों के मुताबिक, पूसा डी कंपोजर कैप्सूल भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा विकसित एक ऐसी दवा है। जिससे फसलों के अवशेष या पराली को गलाकर खाद बना दिया जाता है। डी कंपोजर के 4 कैप्सूल, थोड़ी सी गुड़ और थोड़ा सा बेसन मिलाकर 10 लीटर घोल तैयार होगा। जिसको 200 लीटर पानी में मिलाना है और एक एकड़ के फसल अवशेषों पर स्प्रे करना है। स्प्रे करने के दिन या फिर अगले दिन फसल अवशेषों पर रोटावेटर चलाए और हल्का पानी दें। इसके बाद पांच से सात दिन में खेत अगली बुआई के लिए तैयार होगा। हालांकि की लिक्विड तैयार करने में थोड़ा समय जरूर लगता है लेकिन यह किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है।