चंडीगढ़, 22 मार्च (ट्रिन्यू)
हरियाणा में रहने वाले लोगों के पुरखों ने अगर सरकार को कोई जमीन दान या उपहार में दी थी तो उस पर नयी पीढ़ी दावा नहीं ठोक सकेगी। खट्टर सरकार ने 50 साल पुराने तक के जमीन विवादों को निपटाने की पहल की है। इसके लिए कानूनी प्रावधान बनाए गए हैं साथ ही तय किया गया है कि अगर किसी को आपत्ति हो तो वह 90 दिनों के भीतर इसे दर्ज कराए।
असल में हरियाणा सरकार ने विकास परियोजनाओं के लिए दी गई जमीन के विवाद को खत्म करने की दिशा में बड़ी पहल की है। सार्वजनिक कार्य और विकास परियोजनाओं के लिए सरकार को दी बाप-दादा (पुरखों) की पुरानी जमीनों पर अब नयी पीढ़ी के लोगों का कोई हक नहीं होगा। प्रदेश सरकार ने कानून बनाकर प्रावधान किया है कि अब किसी भी ऐसी जमीन पर मालिक 90 दिनों के भीतर अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है। इससे अधिक देरी होने पर किसी भी व्यक्ति की संबंधित जमीन पर न तो दावेदारी को स्वीकार किया जाएगा और न ही उसकी बात सुनी जाएगी। हरियाणा सरकार ने लोक उपयोगिताओं के परिवर्तन संबंधी विधेयक 2022 बनाकर जमीनों के कानूनी विवाद निपटाने की पहल की है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सदन में कहा कि इससे पुराने विवाद हल करने में मदद मिलेगी।
तब दान या उपहार
मुख्यमंत्री ने सदन में बताया कि 50 साल पहले लोग अपनी जमीन सरकार को विकास योजनाओं के लिए दान अथवा उपहार में दे दिया करते थे। उस समय जमीन काफी सस्ती होती थी और सरकार को दी जाने वाली जमीन का सारा काम मौखिक रूप से होता था। उस समय दान या उपहार में जमीन देने वालों की नई पीढ़ियां कोर्ट में चली जाती हैं और दावा करते हैं कि यह जमीन उनकी है। ज्यादातर मामले अधिक मुआवजे के लालच में होते थे। यहां तक कि दावेदारों द्वारा ऐसी जमीन पर बनी सार्वजनिक उपयोग की संपत्तियों को खत्म करने की लड़ाई तक लड़ी जाती है।
अब दस्तावेजी काम
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज अगर सरकारी परियोजना के लिए जब भी कोई जमीन ली जाती है तो उसका पूरा दस्तावेजी काम होता है। उन्होंने बताया कि जमीन लिखित में ली जाती है और उस जमीन को संबंधित विभाग के नाम करते हैं, ताकि मुकदमेबाजी से राहत मिल सके। विवाद के सभी मामले 20, 30 और 50 साल पुराने हैं। दावा किया गया है कि नये कानून से पुराने विवाद निपटेंगे।