अजय मल्होत्रा/ हप्र
भिवानी, 23 मई
भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं को इस बार एक ऐसा अनोखा चुनाव प्रचार देखने को मिला जो कि उन्हें लंबे अरसे तक याद रहेगा। भाजपा व कांग्रेस दोनों प्रमुख दलों के उम्मीदवारों ने पूरा चुनाव एक दूसरे पर आरोप -प्रत्यारोप लगाये बिना निकाला। वहीं दोनों ने एक बार भी एक-दूसरे के ऊपर तीखे कटाक्ष नहीं किये।
दोनों उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार में जहां कई समानताएं देखने को मिलीं, वहीं दोनों ने ही पिछले 25 दिन जमकर पसीना बहाया। भाजपा के धर्मबीर सिंह व कांग्रेस के राव दान सिंह समय-समय पर एक दूसरे को मित्र बताते रहे तथा यह भी कहते रहे कि उनकी लड़ाई विचारधारा की है। दोनों ही लगभग एक ही उम्र के हैं और कॉलेज में 1977 से राजनीति की शुरुआत की थी। दोनों भिवानी जिले के हैं व लंबे समय तक कांग्रेस में रहे हैं। एक समय दोनों के नेता चौधरी भजनलाल या फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा रहे हैं। समय-समय पर दोनों को राव इंद्रजीत का आशीर्वाद भी मिला है। दोनों हुड्डा सरकार में मुख्य संसदीय सचिव भी रह चुके हैं। धर्मबीर व दान सिंह दोनों के व्यक्तित्व व व्यवहार पर नज़र डाली जाए तो दोनों के पास समर्थकों की लंबी चौड़ी फौज है। 25 दिन का चुनाव प्रचार धुआंधार रहा और चुनावी टक्कर भी इतनी कड़ी है कि दोनों ही पार्टियों के सुप्रीमो भी उनके चुनाव प्रचार में पहुंचे। राहुल गांधी ने भिवानी-महेंद्रगढ़ में रैली की वहीं बृहस्पतिवार को भाजपा उम्मीदवार के समर्थन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी क्षेत्र के गांव पाली में रैली को संबोधित किया। दोनों के आपसी संबंध मधुर होने के कारण चुनाव प्रचार में दोनों दलों के कार्यकर्ताओं के बीच भिड़ंत की कोई घटना नहीं हुई। जबकि भिवानी के चुनावी इतिहास में कोई भी चुनाव आपसी चरित्रहनन अथवा चुनावी हिंसा के बगैर नहीं हुआ। यहां तक कि 1989 के चुनाव मेें तो दोनों प्रमुख पार्टियों कांग्रेस व लोकदल के प्रत्याशियों के कार्यकर्ताओं के बीच गोलियां तक चली थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी प्रचार के दौरान हिंसा देखने को मिली थी। मतदाताओं को उम्मीद है कि इस बार भिवानी-महेद्रगढ़ में बिना किसी अप्रिय घटना के चुनाव संपन्न होगा।