कॉलेजों में सेमिनार, वर्कशॉप और कॉन्फ्रेंस के लिए तय हुए खाने-पीने के रेट
हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट की नई एसओपी लागू
हरियाणा सरकार ने कॉलेजों में होने वाले सेमिनार, वर्कशॉप और कॉन्फ्रेंस पर लगाम कस दी है। अब कॉलेज प्रबंधन इन आयोजनों में मनमर्जी से फीस या खर्च तय नहीं कर सकेंगे। हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट ने इसके लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी है, जो सरकारी, एडेड और निजी सभी कॉलेजों पर लागू होगी। अब किसी भी सेमिनार या वर्कशॉप में भाग लेने के लिए कॉलेज 500 रुपये से अधिक रजिस्ट्रेशन फीस नहीं ले सकेंगे। कई कॉलेजों में छात्रों और प्रतिभागियों से मनमाने शुल्क वसूलने की शिकायतें आ रही थीं, जिन्हें ध्यान में रखते हुए यह सीमा तय की गई है।
यह होगा भोजन बजट
एसओपी में आयोजनों के लिए प्रति व्यक्ति चाय का रेट 40 रुपये और लंच या डिनर का बजट 200 रुपये प्रतिदिन तय किया गया है। विशेष वक्ताओं को प्रति घंटे 2000 रुपये तक का मानदेय दिया जा सकेगा और एक दिन में अधिकतम दो लेक्चर आयोजित किए जा सकेंगे। बोर्डिंग व लोडिंग पर 1000 रुपये प्रति व्यक्ति, जबकि स्टेशनरी व अन्य सामग्री पर 15 हजार रुपये तक का खर्च अनुमानित होगा।
राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय आयोजनों पर खर्च की सीमा
अब राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार या वर्कशॉप पर प्रतिदिन 60 हजार रुपये और अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों पर अधिकतम 1 लाख रुपये खर्च किए जा सकेंगे। इन आयोजनों में 60 से 80 प्रतिभागियों की सीमा तय की गई है। यदि संख्या बढ़ानी हो, तो प्रिंसिपल को कारण बताकर 10% तक की अनुमति लेनी होगी।
तय हुआ टाइम टेबल
अब सेमिनार और वर्कशॉप के लिए निश्चित समय तय किया गया है। कार्यक्रम सुबह 9:30 बजे से शाम 5 बजे तक होंगे, जिनमें चार सेशन रखे जाएंगे। टी-ब्रेक और लंच टाइम भी एसओपी के मुताबिक फिक्स रहेगा। कॉलेजों को सलाह दी गई है कि आयोजन शनिवार या रविवार जैसे छुट्टी के दिन करें ताकि पढ़ाई बाधित न हो।
छात्राओं को राहत
एसओपी में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कार्यक्रम शाम 5 बजे से पहले समाप्त हों, ताकि छात्राओं को घर लौटने में दिक्कत न हो। पहले कुछ कॉलेजों में देर शाम तक कार्यक्रम चलते थे, जिससे छात्राओं को परेशानी होती थी।
नवंबर-दिसंबर में भेजनी होगी आयोजन प्रस्तावना
कॉलेजों को अगले शैक्षणिक सत्र के सेमिनार या कॉन्फ्रेंस की प्रस्तावना नवंबर-दिसंबर में ही भेजनी होगी, जिसमें आयोजन की तारीखें, उद्देश्य और पिछले तीन वर्षों के विषयों का ब्यौरा देना अनिवार्य होगा। हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट की यह पहल कॉलेजों में पारदर्शिता, अनुशासन और जवाबदेही की नई व्यवस्था लेकर आई है। अब कॉलेजों को हर आयोजन का पूरा लेखा-जोखा देना होगा।
15 दिन में होगी रिपोर्ट
आयोजन के बाद कॉलेज को 15 दिन के भीतर यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट, कार्यक्रम की रिपोर्ट, फोटो और प्रतिभागियों का फीडबैक निदेशालय को भेजना होगा। इससे फर्जी बिलिंग और बजट में गड़बड़ी पर रोक लग सकेगी।
पारदर्शिता के लिए स्क्रीनिंग कमेटी
किस कॉलेज में कौन-सा आयोजन होगा, इसकी अनुमति अब स्क्रीनिंग कमेटी देगी। कॉलेज को आयोजन से पहले आइटम-वाइज बजट और शामिल होने वाले प्रतिभागियों का वर्ग (स्टूडेंट्स, फैकल्टी, स्कॉलर या वक्ता) स्पष्ट करना होगा।
फर्जीवाड़े, शिकायतों पर लगेगी रोक
अब सेमिनार के नाम पर फर्जी खर्च या ज्यादा फीस वसूली करने वाले कॉलेजों पर सख्त कार्रवाई होगी। छात्र यदि महसूस करते हैं कि कॉलेज ने तय सीमा से ज्यादा शुल्क लिया है, तो वे इसकी शिकायत विभाग में दर्ज करा सकेंगे।