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पहले दी छुट्टी, बाद में अनुपस्थित रहने का नोटिस भेजकर मांगा जवाब

डीजी के संज्ञान में लाए बिना ही नीचे के अधिकारियों ने नोटिस जारी किया
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चंडीगढ़, 4 मई (ट्रिन्यू)

पंचकूला स्थित तकनीकी शिक्षा निदेशालय के फैसले विवादों में हैं। फील्ड में पॉलिटेक्निक एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों का स्टाफ इस वजह से समस्याओं से दो-चार हो रहा है। ताजा मामला उटावड़ (पलवल) स्थित राजकीय बहुतकनीकी शिक्षा समिति के कार्यवाहक प्रिंसिपल जितेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ की गई कार्रवाई का है।

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प्रदेश मुख्यालय से ही तोमर को तीन दिन की ईएल (अर्जित अवकाश) की मंजूरी दी गई लेकिन फिर इसी अवधि के लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी कर दिया। सूत्रों का कहना है कि तकनीकी शिक्षा निदेशालय में चल रही मनमानी और आपसी खींचतान का असर पूरे प्रदेश के स्टाफ पर पड़ रहा है।

अपने छोटे भाई की शादी की सिल्वर जुबली कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उन्होंने 23 से 25 अप्रैल तक ईएल के लिए आवेदन किया। आवेदन उन्होंने 3 अप्रैल को कर दिया था। 11 अप्रैल को यह आवेदन पंचकूला स्थित प्रदेश मुख्यालय में भेजा गया।

रोचक बात यह है कि उनके आवेदन पर करीब चौदह दिन बाद कार्रवाई हुई और 25 अप्रैल को उनकी छुट्टी को मंजूर किया गया।

25 अप्रैल को ही पंचूकला में रिव्यू मीटिंग बुलाई गई। इसमें सभी प्रिंसिपल बुलाए गए थे। जितेंद्र सिंह तोमर गांधीनगर (गुजरात) में होने की वजह से इस मीटिंग में शामिल नहीं हो पाए। हालांकि उन्होंने अपनी जगह कॉलेज के वरिष्ठ लेक्चरर को मीटिंग में भेज दिया था। इसी दिन यानी 25 अप्रैल की रात नौ बजे तोमर को तकनीकी शिक्षा विभाग के महानिदेशक (डीजी) की ईमेल से मीटिंग में शामिल नहीं होने पर कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया।

सूत्रों का कहना है कि डीजी के संज्ञान में लाए बिना ही नीचे के अधिकारियों ने जितेंद्र सिंह ताेमर को नोटिस जारी किया।

नोटिस का जवाब तीन दिन में देने के आदेश दिए गए। तोमर ने 28 अप्रैल को नोटिस का विस्तृत जवाब भी दे दिया। यह पूरा घटनाक्रम प्रदेश के सभी पॉलिटेक्निकल कॉलेजों ही नहीं, प्रदेश मुख्यालय में भी चर्चाओं का विषय बना हुआ है। यह बात किसी की समझ में नहीं आ रही कि जिस अथॉरिटी ने प्रिंसिपल की छुट्टी मंजूर की थी, उसने ही किस आधार पर कारण बताओ नोटिस जारी किया। वहीं इस संबंध में संबंधित विभाग का पक्ष हासिल नहीं हो सका।

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