पानीपत, 22 अप्रैल (ट्रिन्यू)
आंगनवाड़ी केंद्रों में नौनिहालों की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। पौष्टिक आहार के नाम पर उन्हें बीमारियां परोसी जाती हैं। आंगनवाड़ी केंद्रों की सुरक्षा की पोल भी अब खुल गई है और किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिये सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। हरिनगर के आंगनवाड़ी केंद्र 227 में शुक्रवार को चूल्हा जलाते समय अचानक आग लग गई और उससे आंगनवाड़ी वर्कर झुलस गई और बच्चों के खेलने का सामान खाक हो गया। गनीमत रही कि साथ लगते कमरे में 20 नौनिहाल बाल-बाल बच गये। चूल्हे की सर्विस नहीं हुई, जिससे यह हादसा हुआ है। हरिनगर में 2 साथ-साथ लगते किराये के कमरों में आंगनवाड़ी केंद्र संचालित किया जा रहा है। केंद्र में एक वर्कर व एक दिव्यांग हैल्पर काम करते है। शुक्रवार दस बजे एक कमरे में 6 साल की उम्र तक के 20 बच्चे मौजूद थे। साथ लगते कमरे में बच्चों के खेलने का सामान, मेज-कुर्सी, गैस सिलेंडर, चूल्हा और राशन मौजूद था। हैल्पर दिव्यांग होने के कारण आंगनवाड़ी वर्कर ने खुद खाना पकाने के लिये जैसे ही चूल्हा जलाया तो अचानक आग भभक गई। इससे पहले वह आग को संभाल पाती उसकी चुन्नी ने भी आग पकड़ ली। धीरे-धीरे आसपास रखा सामान भी जलने लगा। आनन-फानन में वर्कर ने पतीले की मदद से चूल्हे को दरवाजे से बाहर किया। जिससे उनका हाथ झुलस गया। आग के कारण दरवाजे का भी कुछ हिस्सा जल गया। गनीमत रही कि आग साथ लगते कमरे में नहीं फैली।

आंगनवाड़ी केंद्रों में आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। आग बुझाने के सिलेंडर तो दूर रेत से भरी बाल्टी भी नहीं हैं। इनमें अलग से रसोईघर की व्यवस्था भी नहीं है। आंगनवाड़ी वर्कर ने बताया कि विभाग ने कई साल पहले चूल्हे उपलब्ध कराये थे, लेकिन कभी इनकी सर्विस नहीं कराई गई। विभाग इस काम के लिये पैसे भी नहीं देता। दो साल से आंगनवाड़ी केंद्र के भवन का किराया भी नहीं दिया।
‘आग से बचाव के उपकरण कहीं नहीं’
जिला कार्यक्रम अधिकारी राजबाला का कहना है कि अभी तक विभाग की ओर से आग से बचाव के लिये कहीं भी उपकरण उपलब्ध नहीं कराये गये हैं। सिलेंडर या चूल्हे में कोई खराबी आती है तो उसे वर्कर को सूचना देनी चाहिये। इस घटना की जैसे ही सूचना मिली उन्होंने सुपरवाइजर को वहां भेजा और वर्कर को अस्पताल भिजवाया। एक साल का भवन का किराया बकाया है। जैसे ही बजट मिलेगा किराये की अदायगी भी कर दी जायेगी।
छोटे कमरों में बनाना पड़ता है खाना
हरियाणा बाल विकास एवं आंगनवाड़ी वूमेन वर्कर यूनियन की प्रधान संतोष रावल का कहना है कि किसी भी आंगनवाड़ी केंद्र में अलग रसोई की समुचित व्यवस्था नहीं है। हैल्पर अथवा वर्कर को मजबूरी में छोटे-छोटे कमरों या सर्दियों में खुले में आहार पकाना पड़ता है। ईंधन भी समय पर उपलब्ध नहीं कराया जाता।