चंडीगढ़़, 1 दिसंबर (ट्रिन्यू)
राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों की मौत के मामले का कोई रिकार्ड सरकार के पास नहीं है। दीपेंद्र ने सवाल किया कि क्या ये बात सरकार सच्चे और शुद्ध मन से कह रही है? उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण जवाब नहीं हो सकता। दीपेंद्र ने कहा कि सरकार जब कहे, जहां कहे वो आंदोलन में जान गंवाने वाले सभी 681 किसानों की लिस्ट देने को तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जायेगी, देश इनको कभी नहीं भूलेगा। सांसद दीपेंद्र ने कहा कि समस्या ये नहीं है कि सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है, बल्कि ंसमस्या ये है कि सरकार की नीयत मदद करने की नहीं है। न तो सरकार ये कटु सत्य स्वीकारना चाहती है कि इस आंदोलन में इतने किसानों की जान गयी है। न ही उनको मान्यता देना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि बड़ी आश्चर्यजनक बात है कि किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर कितने केस दर्ज हुए हैं, इनका रिकार्ड भी सरकार के पास नहीं है। केस तो थाने में दर्ज होते हैं किसी निजी संस्था के पास नहीं। ऐसे में कोई भी जिम्मेदार सरकार ये कैसे कह सकती है कि उसे नहीं पता कितने केस दर्ज हुए हैं।
दीपेंद्र हुड्डा ने बताया कि वे लगातार 2 दिनों से राज्यसभा में नियम 267 के तहत काम रोको प्रस्ताव दे रहे हैं, जिससे किसानों के मुद्दे पर चर्चा कराई जाए, लेकिन उनकी मांग अनसुनी की जा रही है। उन्होंने मांग की कि सरकार सभी दिवंगत किसानों को श्रद्धांजलि दे और किसान परिवारों को मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को नौकरी दे। इसके अलावा, किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस हों और एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत किसानों की सभी लंबित मांगें पूरी हों।