अम्बाला शहर, 10 फरवरी (हप्र)
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रधान गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने किसान आंदोलन को धर्मयुद्ध की संज्ञा देते हुए कहा कि यह लड़ाई भुखमरी से बचने की और अपनी खेती को बचाने की है। उन्होंने कहा है कि यह हक की लड़ाई है, हम किसी दूसरे का हक छीन नहीं रहे बल्कि अपना अधिकार मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने खेती कानून नहीं बनाये बल्कि कृषि व्यापार कानून बनाये हैं। इससे अब खेती बड़े व्यापारी करेंगे। सरकार बीच में नहीं आयेगी। सरकार वर्ल्ड ट्रेड संगठन की शर्तों पर बंध गई है, जिसकी शर्त है कि कोई भी सरकार अंतर्राष्ट्रीय मूल्य से ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दे सकेगी जबकि भारत और विदेशों की परिस्थितियों में काफी अंतर है। उन्होंने सवाल उठाया कि हम बड़े वर्ल्ड मार्केट का मुकाबला कैसे करेंगे। कई देशों के किसानों के पास 10-10 हजार 20-20 हजार एकड़ के खेत हैं और हम 18 एकड़ से ज्यादा जमीन रख ही नहीं सकते।
‘आंदोलन अकेले किसानों का नहीं’
पंचकूला (ट्रिन्यू) : ऐसी क्रूर सरकार जिंदगी में कभी नहीं देखी जो किसानों के हक छीनने पर तुली हुई है। हम किसी का हक छीनने के लिए नहीं, अपना हक रोजगार खेती बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। यह आत आज जलौली टोल प्लाजा पर हरियाणा किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने किसानों की महापंचायत को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यह कृषि व्यापार कानून है कृषि कानून नहीं है। यह आंदोलन अकेले किसानों का नहीं है।
हिटलरशाही का शिकार हुए किसान : वरुण
अंबाला(निस) : मुलाना विधायक वरुण चौधरी ने कृषि कानूनों को लेकर प्रकाशित पुस्तिका को साहा व बराड़ा खंड के कार्यकर्ताओं को वितरित किया किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों की आत्मिक शांति के लिए दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान वरुण चौधरी ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार लगातार हिटलरशाही शासन देश में चलाए हुए है और आज उसी का शिकार देश के किसान हुए हैं। उन्होंने कहा कि जो काले कानून केंद्र की मोदी सरकार किसानों पर थोप रही है वे गलत हैं।